Advertisment

सवर्ण आरक्षण के मास्‍टर स्‍ट्रोक से मोदी को फिर मिलेगी सत्‍ता या वीपी सिंह जैसा होगा हाल

Mission 2019 के लिए मोदी सरकार ने मास्‍टर स्‍ट्रोक लगाया है. गरीब सवर्णों (upper caste reservation) को 10 फीसद आरक्षण देने के इस फैसले को

author-image
Drigraj Madheshia
एडिट
New Update
सवर्ण आरक्षण के मास्‍टर स्‍ट्रोक से मोदी को फिर मिलेगी सत्‍ता या वीपी सिंह जैसा होगा हाल

27 फीसदी आरक्षण देकर भी वीपी सिंह हार गए.

Advertisment

Mission 2019 के लिए मोदी सरकार ने मास्‍टर स्‍ट्रोक लगाया है. गरीब सवर्णों (upper caste reservation) को 10 फीसद आरक्षण देने के इस फैसले को विपक्षी चुनावी स्टंट तो बता रहे हैं, लेकिन विरोध में कोई नहीं है. बसपा सुप्रीमो मायवती ने भी इस पर मोदी सरकार को समर्थन देने का फैसला किया है. जरा याद करिए 29 साल पहले जब तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंडल कमीशन की सफिारिशों को लागू करते हुए गरीब पिछड़ों को 27 फीसदी आरक्षण लागू किया तो पूरे देश में बवाल मच हो गया. सवर्णेां ने देशव्‍यापी आंदोलन छेड़ दिया. जगह-जगह प्रदर्शन, आगजनी, तोड़फोड़ होने लगे थे. कई युवाओं ने खुद को जला लिया.VP सिंह का यह मास्‍टर स्‍ट्रोक काम नहीं आया. 27 फीसदी आरक्षण देकर भी वीपी सिंह (VP Singh) हार गए थे. अब सवाल उठता है कि क्‍या PM मोदी का यह मास्‍टर स्‍ट्रोक 2019 में फिर से सत्‍ता दिलाएगा.

क्‍या है मंडल कमीशन

20 दिसंबर, 1978 को बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल की अगुवाई में एक आयोग बनाया, जिसे मंडल आयोग कहा गया. मंडल आयोग ने 12 दिसंबर,1980 को अपनी रिपोर्ट पूरी की, लेकिन उस वक्त तक मोरारजी देसाई की सरकार गिर चुकी थी और इंदिरा गांधी फिर से वापसी कर चुकी थीं. मंडल कमीशन ने सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को 27 फीसदी आरक्षण की सिफारिश की थी.

यह भी पढ़ेंः सवर्णों के आरक्षण पर PM नरेंद्र मोदी को BSP सुप्रीमो मायावती का साथ

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने. उन्‍होंने भी मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू नहीं की. इसके बाद जनता दल की सरकार बनी और प्रधानमंत्री बने विश्वनाथ प्रताप सिंह . उन्होंने मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कर दिया. वीपी सिंह के इस फैसले ने देश की सियासत बदल दी. सवर्ण युवा सड़क पर उतर आए. आरक्षण विरोधी आंदोलन के नेता बने राजीव गोस्वामी ने आत्मदाह कर लिया. कांग्रेस नेविरोध किया तो भारतीय जनता पार्टी ने खुद को किनारे कर लिया. वीपी सिंह के करीबियों में यशवंत सिन्हा और हरमोहन धवन ने भी उनके फैसले की सार्वजनिक तौर पर आलोचना की. वीपी सिंह से खार खाए बैठे चंद्रशेखर ने कहा था कि सरकार का इसे लागू करने का तरीका गलत है.लेकिन लालू प्रसाद यादव , मुलायम सिंह यादव रामविलास पासवान और शरद यादव ने वीपी सरकार के फैसले का समर्थन किया.

तो क्‍या रंग लाएगा मोदी का यह मास्‍टर स्‍ट्रोक

मोदी के इस मास्‍टर स्‍ट्रोक से विपक्षी चित हैं. दरअसल, गरीब सवर्णों को आरक्षण का मुद्दा सभी भुनाना चाहते हैं. इसकी बड़ी वजह सवर्ण वोट बैंक भी है. 2007 में सांख्यिकी मंत्रालय के एक सर्वे में कहा गया था कि देश में 31 फीसदी आबादी सवर्णों की है. इस 31 फीसदी के लगभग आधे पर 2014 में बीजेपी का कब्जा था. जबकि इतना ही हिस्सा कांग्रेस के खाते में गया था.

यह भी पढ़ेंः मोदी सरकार से ज्यादा साम्प्रदायिक दंगे मनमोहन कार्यकाल के दौरान हुए, देखें आंकड़े

हालांकि, 2004 के चुनाव में सामान्य वर्ग के वोटरों का बड़ा समर्थन बीजेपी को मिला था, जो 2014 में घटकर कांग्रेस के बराबर आ गया था. इस आंकड़े ने जहां बीजेपी को नया कार्ड खेलने पर मजबूर किया है, तो वहीं दूसरे दल भी इस बड़े वोट बैंक का क्रेडिट अकेले बीजेपी या मोदी सरकार के पक्ष में नहीं जाने देना चाहते. अब देखना ये हो कि मंडल कमीशन के मास्‍टर स्‍ट्रोक से वीपी सिंह तो अपनी सरकार नहीं बचा पाए थे पर क्‍या मोदी सवर्ण आरक्षण के जरिए फिर सत्‍ता प्राप्‍त करेंगे?

Source : News Nation Bureau

PM modi VP Singh Mandal Commission Master Stroke upper caste reservation
Advertisment
Advertisment
Advertisment