सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर तबकों (EWS) को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए बुधवार को राज्यसभा में संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आरक्षण के लिए 50 फीसदी की सीमा संविधान में नहीं है. हम संविधान में संशोधन की बात कर रहे हैं. उन्होंने विपक्षी दलों की असहमति और सवालों का जवाब देते हुए कहा कि 50 फीसदी की सीमा सुप्रीम कोर्ट के फैसले में हैं. इस बिल से हम संविधान की दो अनुच्छेदों में बदलाव की बात कर रहे हैं. इससे एससी/एसटी और ओबीसी के आरक्षण में कोई छेड़छाड़ नहीं हो रही है.
रविशंकर प्रसाद ने कहा, इस संविधान में सकारात्मक कदम उठाने का पहला विचार प्रस्तावना आता है. जिसमें लिखा गया है कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तौर पर न्याय की बात आती है.
उन्होंने कहा, 'क्या ये सच्चाई नहीं है कि अगड़े वर्ग (राजपूत और ब्राह्मण) के लोग मजदूर नहीं है. गांव में जाइए, अगड़े वर्ग के लोग रिक्शा चलाते हुए मिलेंगे. गांवों में जाकर आप लोगों को देखना चाहिए.'
प्रसाद ने कहा कि समर्थन करना है तो खुल कर कीजिए, 'लेकिन' मत लगाइए. आज लोकसभा और राज्यसभा में इतिहास बन रहा है. ये बदलाव का दिन है.
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दरअसल कुछ दलों ने राज्यसभा में समर्थन के साथ कई सारी असहमतियां भी व्यक्त की और इस बिल को हड़बड़ी में लाने पर सवाल खड़े किए थे. संविधान संशोधन बिल को 'अभी क्यों लाए' सवाल पर जवाब देते हुए प्रसाद ने कहा, 'क्रिकेट में स्लॉग ओवर (सीमित ओवरों के मैच में अंतिम ओवर्स) में छक्का लगता है, अभी और छक्के लगेंगे.'
राज्यसभा में बुधवार को जेडीयू, शिवसेना सहित कई दलों ने बिल का समर्थन किया. वहीं राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और द्रविड मुनेत्र कडगम (डीएमके) ने इस बिल का विरोध किया और कहा कि यह सरकार पिछड़ा विरोधी है. इससे पहले मंगलवार को लोकसभा सत्र के आखिरी दिन यह बिल पारित हो गया.
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Source : News Nation Bureau