उत्तर प्रदेश की जेल कैदियों के लिए कब्रगाह बनती जा रही है। प्रदेश की जेलों में 5 साल में 2 हजार से ज्यादा कैदियों की मौत हो चुकी है।
जहां एक ओर योगी सरकार लगातार जेलों में सुधार में सुधार कर के वहां गौशाला खोले जाने की बात के साथ उसे हाईटेक करने की बात कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश की जेलों में कैदियों की मौत थमने का नाम नहीं ले रही है।
जेलों में कैदियों की हालत का खुलासा आगरा के आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस द्वारा की प्रदेश से कैदियों की मौत की मांगी गई रिपोर्ट में हुआ है। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ पिछले पांच साल में पूरे प्रदेश में जेल में बंद कैदियों की मौत 2 हजार से अधिक है। जिनमें महिला कैदी भी शामिल है।
पूरे उत्तर प्रदेश में 62 जिला जेल, पांच सेंट्रल जेल और तीन विशेष कारागार हैं।
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नरेश के मुताबिक जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को रखना ही मौत का प्रमुख कारण है। आगरा जेल की क्षमता 1015 कैदियों की है, लेकिन यहां 2600 से ज्यादा कैदी रह रहे हैं। इसी तरह 1110 कैदियों की क्षमता वाले केंद्रीय कारागार में 1900 से ज्यादा बंदी हैं।
जेलों में कैदियों की होने वाली मौतों में बड़ी संख्या बुजुर्गो की हैं। इनमें ज्यादातर टीबी, दमा और उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे। बैरकों में क्षमता से अधिक कैदियों के चलते टीबी जैसी बीमारी तेजी से फैलती है। खुले में न रहने के कारण कैदियों की रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है।
जेलों में सुधार के लिए गठित कमेटी की सिफारिशें 25 साल बाद भी धूल फांक रही हैं। इसमें जेल नियमावली में संशोधन के साथ ही कैदियों के पुर्नवास से संबंधित सिफारिशें की गई थीं, जिन्हें आज तक लागू नहीं किया गया।
मौत का कारण कुछ भी हो जिस तरह से जेलों में कैदियों की मौते हुई है कही न कही वर्तमान सरकार और पूर्ववर्ती सरकारों की मंशा पर सवाल खड़ा करती है वहीं प्रदेश की जेलों के हालातो का बयान करती है।
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HIGHLIGHTS
- पांच साल में पूरे प्रदेश में जेल में बंद 2 हजार से अधिक कैदियों की मौत
- जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को रखना ही मौत का प्रमुख कारण है
- उत्तर प्रदेश में 62 जिला जेल, पांच सेंट्रल जेल और तीन विशेष कारागार
Source : News Nation Bureau