उत्तराखंड में एक बार फिर संवैधानिक संकट गहराने की आशंका उभर आई है. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. एक ओर जहां विपक्ष उपचुनाव टालने के संवैधानिक प्रावधान दलील दे रहा है, वहीं सीएम रावत के सामने विधानसभा सदस्य बने बिना छह माह मुख्यमंत्री बने रहने की चुनौती है, जबकि दोबार शपथ लेने का विकल्प भी शेष नहीं है. इस राजनीतिक रस्साकसी के बीच बुधवार को सीएम तीरथ सिंह रावत का बड़ा बयान सामने आया है. यह पूछे जाने पर कि वह किस सीट से चुनाव लड़ेंगे सीएम रावत ने कहा कि यह मैं तय नहीं करूंगा, पार्टी इस पर फैसला करेगी.
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तीरथ सिंह रावत ने दिया यह बयान
सीएम रावत ने कहा कि मैं कहां से चुनाव लडूंगा और कहां से नहीं, इसका फैसला दिल्ली लेगा और मैं उसका पालन करूंगा. आपको बता दें किे विपक्ष विधानसभा कार्यकाल एक साल से कम शेष रहने पर उपचुनाव टालने के संवैधानिक प्रावधान पर जोर दे रहा है. राजनीति के जानकारों की मानें तो सीएम तीरथ अगर 10 सितंबर तक विधानसभा के सदस्य निर्वाचित होते हैं तो उनको अगले 14 दिन के भीतर लोकसभा से इस्तीफा देना होगा. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की मेंबर गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151(क) के तहत जिस राज्य में चुनाव होने में केवल एक साल से कम का समय बचा हो, वहां पर उपचुनाव नहीं कराए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं.
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तीरथ सिंह रावत को 10 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी
आपको बता दें कि उत्तराखंड में पिछले 20 साल के अंदर 9 मुख्यमंत्री शासन कर चुके हैं. साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां भारतीय जनता पार्टी को बहुमत मिला था, जिसके चलते त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था. लेकिन त्रिवेंद्र के 4 साल के कार्यकाल के बाद भाजपा नेतृत्व ने उनको हटा दिया तीरथ सिंह रावत को सीएम बना दिया. तीरथ उत्तराखंड के पौड़ी से सांसद भी हैं. तीरथ सिंह रावत को 10 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी.
HIGHLIGHTS
- उत्तराखंड में एक बार फिर संवैधानिक संकट गहराने की आशंका
- CM तीरथ सिंह रावत के चुनाव लड़ने को लेकर राजनीतिक हलचल
- विपक्ष उपचुनाव टालने के संवैधानिक प्रावधान दे रहा है दलील