उत्तराखंड विधानसभा की 70 सीटों के लिए 15 फरवरी को होने वाले मतदान में कांग्रेस ने हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया है तो दूसरी तरफ बीजेपी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
कांग्रेस की तरफ से हरीश रावत और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कई रैलियों को संबोधित किया। वहीं बीजेपी की तरफ से नरेंद्र मोदी ने एक के बाद एक ताबड़तोड़ चार रैली कर चुनावी बयार को दिलचस्प कर दिया।
करीब दस दिनों पहले तक राज्य में सुस्त पड़े बीजेपी के कार्यकर्ता मोदी की रैली के बाद जोश में दिखने लगे हैं। पार्टी के नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं ने भी उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बनाने के लिए पूरी तरह से जुट गए हैं।
शुरुआत में टिकटों को लेकर पार्टी में बगावत से बैकफुट पर आई दोनों दल उबरते हुए नजर आ रहे हैं। लेकिन भितरघात की संभावना से कोई भी इंकार नहीं कर रहा है।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में अंतिम समय में बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को राज्य के चारों कोनों में रैलियों के लिए उतारा जिसके बाद समय कम होने के कारण कांग्रेस के पास जवाब देने का समय नहीं बचा। हर रैली में मोदी ने भ्रष्ट्रचार और विकास का मुद्दा उठाया।
चार विधायकों के टिकट कटने और कांग्रेस छोड़ बीजेपी शामिल हुए 12 पूर्व विधायकों को टिकट मिलने के बाद बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता इसे पचा नहीं पाए। इसका नतीजा यह हुआ कि बीजेपी के तीन पूर्व विधायक कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतर गए तो चार पूर्व विधायकों ने निर्दलीय ताल ठोक डाली।
बीजेपी के तरफ से सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, अजय भट्ट, यशपाल आर्या सहित राज्य के कई कद्दावर नेता इस चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं हैं लेकिन पार्टी ने भितरघात और कई अन्य कारणों को देखते हुए मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया है।
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हालांकि मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर बीजेपी ने हमेशा कुछ भी बोलने से इंकार किया है। कांग्रेस खुलकर रावत को मुख्यमंत्री बनाने के लिए लोगों से अपील कर रही है।
कांग्रेस की तरफ से पार्टी ने मौजूदा मुख्यमंत्री हरीश रावत को ही अपना चेहरा बनाया है। रावत लोगों के बीच जाकर राज्य के विकास के लिए वोट मांग रहे हैं वहीं बीजेपी राज्य में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा रही है।
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इन सबके बावजूद बीजेपी और कांग्रेस के बीच चुनावी मुकाबले में कड़ी टक्कर के हालात बन रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी की जनसभाओं में उमड़े जन सैलाब ने कांग्रेस के रणनीतिकारों को पेशान जरूर कदि है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि रैली में उमड़ी भीड़ किस हद तक वोटों में तब्दील हो पाएगा यह कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। लेकिन इतना तो तय है कि राज्य में चुनाव पूरी तरह से हरीश रावत बनाम नरेंद्र मोदी हो चुकी है।
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ऐसे में सवाल यह भी उठने लगा है कि अगर राज्य में बीजेपी जीतती है तो सेहरा पीएम मोदी के सर बंधेगा लेकिन बीजेपी विधानसभा चुनाव हार जाती है तो उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा।
Source : Abhiranjan Kumar