कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद देश में आए संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार की शाम को देशवासियों के लिए बड़ा ऐलान किया है. पीएम मोदी ने कहा कि देश की किसी भी राज्य सरकार को वैक्सीन पर कुछ भी खर्च नहीं करना होगा. अब तक जिस तरह से देश के करोड़ों लोगों को मुफ्त वैक्सीन मिली है, अब 18 वर्ष की आयु के लोग भी इसमें जुड़ जाएंगे. सभी देशवासियों के लिए भारत सरकार ही मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध करवाएगी. लेकिन उन्होंने एक बात और कही जिसके मुताबिक प्राइवेट अस्पतालों में भी टीकाकरण जारी रहेगा. प्राइवेट अस्पताल, वैक्सीन की निर्धारित कीमत के उपरांत एक डोज पर अधिकतम 150 रुपए ही सर्विस चार्ज ले सकेंगे. इसकी निगरानी करने का काम राज्य सरकारों के ही पास रहेगा.
पीएम मोदी ने बताया कि पिछले कुछ समय से राज्यों में आपस में एक बात की कानाफूसी चल रही थी कि पिछले साल वाली व्यवस्था ही ज्यादा बेहतर थी जिस पर हमने अमल किया और ये फैसला लिया है कि अब राज्यों से वैक्सीनेशन का काम वापस लिया जाएगा. वैक्सीनेशन का काम अब पूरी तरह से केंद्र सरकार ही करेगी. आपको बता दें कि अभी तक वैक्सीन का 50 फीसदी काम केंद्र सरकार, 25 फीसदी राज्य सरकारें और 25 फीसदी प्राइवेट सेक्टर के हाथों में था. सरकार ने अब जो फैसला लिया है उसके मुताबिक अब वैक्सीन का 75 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार और बाकी हिस्सा प्राइवेट सेक्टर को मिलेगा. देश की किसी भी राज्य सरकार को वैक्सीन पर कुछ भी खर्च नहीं करना होगा.'
पिछले काफी समय से देश लगातार जो प्रयास और परिश्रम कर रहा है, उससे आने वाले दिनों में वैक्सीन की सप्लाई और भी ज्यादा बढ़ने वाली है. आज देश में 7 कंपनियाँ, विभिन्न प्रकार की वैक्सीन्स का प्रॉडक्शन कर रही हैं. तीन और वैक्सीन्स का ट्रायल भी एडवांस स्टेज में चल रहा है. जब नीयत साफ होती है, नीति स्पष्ट होती है, निरंतर परिश्रम होता है तो नतीजे भी मिलते हैं. हर आशंका को दरकिनार करके भारत ने एक साल के भीतर ही एक नहीं बल्कि दो मेड इन इंडिया वैक्सीन्स लॉन्च कर दी और एक और नाक से ली जाने वाली नेजल वैक्सीन पर काम जारी है.
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पीएम मोदी ने अपने संबोधन में देशवासियों को बताया कि कोरोना वैक्सीन हमारे लिए सुरक्षा कवच की तरह है. आज पूरे विश्व में वैक्सीन के लिए जो मांग है, उसकी तुलना में उत्पादन करने वाले देश और वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां बहुत कम हैं. कल्पना करिए कि अभी हमारे पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो आज भारत जैसे विशाल देश में क्या होता? पीएम मोदी ने आगे कहा कि आप पिछले 50-60 साल का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे. विदेशों में वैक्सीन का काम पूरा हो जाता था तब भी हमारे देश में वैक्सीनेशन का काम शुरू नहीं हो पाता था.
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पोलियो की वैक्सीन हो, चेचक की वैक्सीन हो, हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन हो, इनके लिए देशवासियों ने दशकों तक इंतजार किया था. 2014 में जब देशवासियों ने हमें सेवा का अवसर दिया तो भारत में वैक्सीनेशन का कवरेज सिर्फ 60 प्रतिशत के आसपास था. हमारी दृष्टि में ये चिंता की बात थी. जिस रफ्तार से भारत का टीकाकरण चल रहा था, उस हिसाब से देश को शत-प्रतिशत टीकाकरण कवरेज का लक्ष्य हासिल करने में करीब 40 साल लग जाते थे. हमने इस समस्या के समाधान के लिए मिशन इंद्रधनुष को शुरु किया. पीएम मोदी ने कहा कि हमने टीकाकरण की रफ्तार भी बढ़ाई और दायरा भी बढ़ाया. हमने बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कई नए टीकों को भी भारत के टीकाकरण अभियान का हिस्सा बना दिया. क्योंकि हमें देश के बच्चों की चिंता थी, हमें गरीबों की चिंता थी.
HIGHLIGHTS
- निजी अस्पताल वैक्सीन के लिए अधिकतम 150रु. ही ले सकेंगे
- देश में तेजी से वैक्सीनेशन के लिए केंद्र सरकार ने अपने हाथ में ली कमान
- किसी भी राज्य सरकार को वैक्सीनेशन के नाम पर कुछ नहीं खर्च करना होगा