पहले नागरिकता संशोधन कानून और अब वीर सावरकर के मसले पर हफ्ते भर में दूसरी बार शिवसेना और कांग्रेस वैचारिक मतभेदों के चलते आमने-सामने आ खड़े हुई हैं. कह सकते हैं कि जुम्मा-जुम्मा चार दिन ही हुए हैं उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बने और वैचारिक मुद्दों को दरकिनार कर महाराष्ट्र में महज सत्ता के लिए बने बेमेल गठबंधन के वैचारिक मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं. वीर सावरकर पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान से कांग्रेस-एनसीपी के समर्थन से बनी शिवसेना सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि मंत्रियों को पोर्टफोलियो बंटवारे के 48 घंटे के भीतर ही कांग्रेस पर शिवसेना के हमले तेज हो गए हैं. एनसीपी भी कांग्रेस के बचाव में आ गई है. अब देखने वाली बात यह होगी कि कांग्रेस अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी की फिर से ताजपोशी में जुटी कांग्रेस इसकी प्रतिक्रिया कैसे और कब देती है.
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सीएए पर हुआ पहला वैचारिक मतभेद
गौरतलब है कि लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर कांग्रेस-शिवसेना के मतभेद खुलकर सामने आ गए थे. लोकसभा में शिवसेना ने विधेयक का समर्थन किया था. साथ ही बयान भी दिया था कि सरकार से ज्यादा राष्ट्रहित के मुद्दे सर्वोपरि है. यह अलग बात है कि कांग्रेस आलाकमान की चढ़ी त्योरियां भांप कर शिवसेना अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जैसे-तैसे स्थिति संभाल ली थी. हालांकि इसके लिए राज्यसभा में सीएबी पर मतदान के दौरान शिवसेना वॉकआउट कर गई थी. इसके बाद ऐसे संकेत आए थे कि कांग्रेस आलाकमान ने इसके बदले शिवसेना की किरकरी करने के लिए महाराष्ट्र में पोर्टफोलियो में बड़ा हिस्सा मांग लिया है.
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आगे भी जारी रहेगी रार
अब रही सही कसर वीर सावरकर पर राहुल गांधी के बयान ने पूरी कर दी है. वैचारिक स्तर पर दो विपरीत ध्रुव पर खड़ी कांग्रेस और शिवसेना के लिए सावरकर विवाद से छुटकारा पाना एक बड़ी चुनौती होगी. इसकी एक वजह यह भी है कि एक समय शिवसेना की साथी रही बीजेपी ने भी इस मसले पर शिवसेना पर तीखा हमला बोला है. शनिवार को ही देवेंद्र फडणवीस ने कांग्रेस पर निशाना साध कर शिवसेना को ललकारा था. गौरतलब है कि कांग्रेस आजादी के समय से ही सावरकर के विचारों का विरोध करती आई है, वहीं शिवसेना सावरकर को महापुरुष करार देकर भारत रत्न देने की मांग तक कर रही है. इस लिहाज से इस मुद्दे पर पहले से ही दोनों दलों के बीच काफी विवाद हो चुका है और आगे भी जारी रहेगा, यह कहने में कतई कोई अतिश्योक्ति नहीं है.
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संजय राउत ने बोला था राहुल गांधी पर तीखा हमला
दरअसल कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने 'रेप इन इंडिया' बयान पर माफी मांगने से इंकार करते हुए कहा कि वह 'राहुल सावरकर' नहीं राहुल गांधी हैं. ऐसे में अपने बयान पर कतई माफी नहीं मांगेंगे. इस पर शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने राहुल गांधी को नसीहत दे डाली थी कि नेहरू-गांधी की तरह सावरकर भी देश के गौरव है, उनका अपमान नहीं होना चाहिए. शनिवार को ही राउत ने ट्वीट कर तीखा हमला बोला था. उन्होंने कहा था, 'वीर सावरकर सिर्फ महाराष्ट्र के ही नहीं, देश के देवता हैं, सावरकर नाम में राष्ट्र अभिमान और स्वाभिमान है. नेहरू-गांधी की तरह सावरकर ने भी देश की आजादी के लिए जीवन समर्पित किया. इस देवता का सम्मान करना चाहिए. उसमें कोई भी समझौता नहीं होगा. जय हिंद.' इसके साथ ही राउत ने कांग्रेस के नेताओं को नसीहत दी थी कि वह सावरकर पर कुछ किताबें राहुल गांधी को दें ताकि उन्हें असलियत पता चल सके.
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एनसीपी ने गाय की आड़ में कांग्रेस का दिया साथ
वीर सावरकर पर कांग्रेस-शिवसेना के आरोप प्रत्यारोप के बीच रविवार को एनसीपी भी कूद आई. महाराष्ट्र में मंत्री और कैबिनेट पोर्टफोलियो पाए छगन भुजबल ने वीर सावरकर के मसले पर बीजेपी को आड़े हाथों लेने की कोशिश की. छगन भुजबल ने कहा कि सावरकर गाय को सिर्फ जानवर मानते थे. क्या बीजेपी मानेगी कि गाय माता नहीं. जाहिर है गो-रक्षा की आड़ में एनसीपी ने एक तरह से बीजेपी को निशाने पर लेकर कांग्रेस को राहत देने और शिवसेना को किनारे करने की कोशिश की है. जाहिर है इस पर बीजेपी तीखा हमला करेगी और कांग्रेस-एनसीपी पर हमला बोल शिवसेना को ललकारना बंद नहीं करेगी.
HIGHLIGHTS
- महाराष्ट्र में सत्ता के लिए बने बेमेल गठबंधन के वैचारिक मतभेद सामने आने लगे.
- नागरिकता संशोधन कानून के बाद वीर सावरकर पर कांग्रेस-शिवसेना आमने-सामने.
- बीजेपी-एनसीपी ने वीर सावरकर के नाम पर साधा एक-दूसरे पर निशाना.
Source : News Nation Bureau