संसद के आगामी मानसून सत्र को लेकर लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह तैयारियां जोरों पर हैं।
जहां लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने पिछले सत्रों के हंगामे की भेंट चढ़ जाने पर चिंता जताते हुए मानसून सत्र शुरू होने से पहले सभी सांसदों से खत लिख कर सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलने देने की अपील की है।
वहीं राज्यसभा के सभापति एम.वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि अब राज्यसभा सांसद संविधान की आठवीं सूची में शामिल 22 भारतीय भाषाओं में से किसी में भी भाषण दे सकते हैं।
गौरतलब है कि राज्यसभा सचिवालय ने आठवीं सूची में शामिल पांच अन्य भाषाओं डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी, संथाली और सिंधी के लिए एक साथ अनुवाद की व्यवस्था की है।
नायडू ने मंगलवार को औपचारिक रूप से इन भाषाओं के लिए अनुवादकों को टीम में शामिल किया।
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इससे पहले राज्यसभा में 22 में से 11 भाषाओं असम, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलगु और उर्दू में अनुवादक की व्यवस्था थी। जबकि, बोडो, मैथली, मणीपुरी, मराठी, नेपाली भाषाओं में लोकसभा के अनुवादकों की व्यवस्था की जा रही है।
नायडू ने कहा, 'मैं हमेशा महसूस करता हूं कि मातृभाषा बिना किसी अवरोध के हमारे अनुभवों और विचारों को व्यक्त करने का स्वाभाविक माध्यम होती है। संसद में बहुभाषी व्यवस्था के तहत, सदस्यों को भाषा की बाधाओं से परे हटकर अपने आप को दूसरे से कम नहीं आंकना चाहिए।'
उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा से सभी 22 भाषाओं में अनुवाद की सुविधा को मुहैया कराना चाहता था। मैं खुश हूं कि आगामी मानसून सत्र में यह सुविधा सभी के लिए उपलब्ध होगी।'
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Source : News Nation Bureau