अयोध्‍या (Ayodhya) पर फैसले के साथ ही काशी-मथुरा (Kashi-Mathura) में विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कही ये बड़ी बात

अयोध्या (Ayodhya) के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ram Janmbhoomi-Babari Masjid Dispute) में सुप्रीम कोर्ट (Suprme Court) ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला (Historical Verdict) देते हुए राम मंदिर के हक में फैसला सुनाया.

author-image
Sunil Mishra
New Update
अयोध्‍या (Ayodhya) पर फैसले के साथ ही काशी-मथुरा (Kashi-Mathura) में विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कही ये बड़ी बात

अयोध्‍या पर फैसले के साथ ही काशी-मथुरा में विवाद पर SC ने क्‍या कहा( Photo Credit : File Photo)

Advertisment

अयोध्या (Ayodhya) के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ram Janmbhoomi-Babari Masjid Dispute) में सुप्रीम कोर्ट (Suprme Court) ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला (Historical Verdict) देते हुए राम मंदिर के हक में फैसला सुनाया. अयोध्‍या में राम मंदिर पर फैसला देते हुए बेंच ने देश के तमाम विवादित धर्मस्थलों पर भी अपना रुख स्पष्ट किया, जिससे यह साफ हो गया कि काशी (Kashi) और मथुरा (Mathura) में धर्म स्‍थलों की मौजूदा स्थिति यथावत बनी रहेगी. अयोध्या की तरह काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद (Vishwanath Mandir-Gyanvapi Masjid Dispute) और मथुरा में भी ऐसा ही विवाद चला आ रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने 1,045 पेज के अपने फैसले में 11 जुलाई, 1991 को लागू हुए प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट, 1991 का जिक्र करते हुए स्‍पष्‍ट कर दिया है कि काशी व मथुरा के संदर्भ में यथास्थिति बरकरार रहेगी.

यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र में ‘शिवसेना- कांग्रेस की सरकार’ पर ओवैसी का बड़ा बयान, बोले- हमारे दो विधायक...

चीफ जस्टिस (CJI) रंजन गोगोई, जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की बेंच ने फैसले में कहा, 1991 का यह कानून देश में संविधान के मूल्यों को मजबूत करता है. बेंच ने कहा, 'देश ने इस एक्ट को लागू करके संवैधानिक प्रतिबद्धता को मजबूत करने और सभी धर्मों को समान मानने और सेक्युलरिज्म को बनाए रखने की पहल की है.'

दरअसल, 1991 में केंद्र की नरसिम्हा राव सरकार ने अयोध्‍या में बाबरी मस्‍जिद विध्‍वंस से एक साल पहले ही यह कानून बनाया था. तब अयोध्‍या ही केवल विवाद नहीं था, बल्‍कि काशी और मथुरा जैसे कई धार्मिक स्थल भी इसमें शामिल थे. किसी धार्मिक स्थल पर बाबरी विध्वंस जैसा कुछ न हो, इसके लिए उस वक्त (1991 में) एक कानून पास हुआ.

यह भी पढ़ें : बालासाहेब ठाकरे 'इटैलियन मम्‍मी' कहकर उड़ाते थे मजाक, उसी कांग्रेस से समर्थन की भीख मांग रहे उद्धव ठाकरे

इस कानून में यह साफ कहा गया है कि 15 अगस्त 1947 को भारत की आज़ादी के दिन से देश भर में धर्मस्‍थलों की जो स्‍थिति है, वो वैसी ही रहेगी. हालांकि, इस कानून में साफ कहा गया है कि हर धार्मिक विवाद ट्रायल के लिए लाया जा सकता है. हालांकि, रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को इस विवाद के दायरे से बाहर रखा गया था. इसलिए इस एक्ट के बनने पर भी अयोध्या मामले पर लंबा केस चला.

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर अपने फैसले में मथुरा-काशी विवाद को विराम देने की बात कही. बेंच ने कहा, 'संसद ने सार्वजनिक पूजा स्थलों को संरक्षित करने के लिए बिना किसी अनिश्चित शब्दों के आदेश दिया है कि इतिहास को वर्तमान-भविष्य में विवाद के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.'

Source : न्‍यूज स्‍टेट ब्‍यूरो

Supreme Court Ayodhya babri-masjid kashi mathura
Advertisment
Advertisment
Advertisment