पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने बुधवार को अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को मध्यस्थता के लिए भेजने के फैसले को सुरक्षित रख लिया. सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस बोबड़े बोले, ये महज भूमि विवाद का मसला नहीं है. ये लोगों की भावनाओं से जुड़ा मसला है. हम इस फैसले के आने के बाद आने वाले परिणाम को लेकर सतर्क हैं. हालांकि उत्तर प्रदेश राज्य सहित हिंदू पक्षकारों ने अदालत के प्रस्ताव का विरोध किया. बीजेपी नेता समेत विश्व हिंदू परिषद ने भी अपनी आपत्ति दर्ज करवाई है.
वीएचपी (VHP) कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, 'हमको संदेह है रामलला के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में असहमति जताई है मेरा पुराना अनुभव इस असहमति का कारण है. चंद्रशेखर जब प्रधानमंत्री थे तब चर्चा हुई थी जहां मंदिर था, पहले मंदिर था कि नहीं इस पर विवाद होता था दोनों पक्ष में प्रमाण जुटाया उनकी अदला बदली हुई. मामला जब निर्णय की स्थिति में आया तो दूसरे पक्ष कार आना बंद कर दिए इसलिए चर्चा भी फैल हो गई इस अनुभव के कारण रामलला के वकीलों ने कहा कि हमारी सहमति नहीं है फिर भी जब सुप्रीम कोर्ट कहेगा तो हम आदर करेंगे.
उन्होंने ये भी कहा, 'चर्चा के कुछ आधारभूत तत्व और विषय होते हैं जहां राम का जन्म हुआ वहां उनका मंदिर बने और मंदिर ही बनेगा इस बारे में कोई समझौता नहीं हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है जितना समय दिया है दूसरे पक्ष को दस्तावेज जांचने के लिए उतना ही समय है. हम अपेक्षा करेंगे और रखवाली करेंगे ताकि बात को मुकदमा लटकाने के लिए इस्तेमाल न हो. अनुभव अच्छे नहीं रहे हैं इसलिए मैं आशान्वित भी नहीं हूं कि कुछ होगा अब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय करना है.
वीएचपी अध्यक्ष ने ये भी बोला, 'मैं विपक्ष के खेमे में बहुत घबराहट देख रहा हूं. राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति यह विषय आज तक राजनीति के नहीं थे. मुझे दुख है कुछ विपक्षी दल इस विषय को राजनीति में घसीट कर सैनिकों ने जो पुरुषार्थ से विजय प्राप्त किया है उस पर शंका कर रहे हैं, पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं. वो ऐसा बोलकर देश का मनोबल गिरा रहे हैं.'
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उन्होंने कहा, ' मुझे नहीं लगता कि बीजेपी राजनीति करना चाहती क्योंकि पुलवामा की घटना के बाद उसका प्रतिशोध नहीं लिया जाता पुलवामा की घटना का तो हमारे जैसे मजबूत देश के लिए शर्म की बात होती. मैं तो कहूंगा अभी पर्याप्त नहीं हुआ है अभी तो आतंकवादियों के सभी अड्डों को नष्ट करना चाहिए विपक्षी पार्टियां हताश है.'
वीएचपी अध्यक्ष आलोक कुमार ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस समय 1971 में बांग्लादेश की लड़ाई जीते थे, उस चुनाव 1 साल पहले करा लिया था. हमने तो नहीं कहा था कि लड़ाई ठीक नहीं थी राष्ट्र उपलब्धि करता है तो उपलब्धि सबकी होती है. उसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए.
Source : News Nation Bureau