देश के 19 विश्वविद्यालय के कुलपतियों को केंद्र सरकार ने कर्नल की मानद रैंक से सम्मानित करने का फैसला लिया है. इस संबंध में भारत सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है. भारत सरकार की अधिसूचना में कहा गया है कि भारतीय विश्वविद्यालयों के 19 कुलपतियों को वीसी के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कर्नल के रूप में सेवा करने के लिए कर्नल की मानद रैंक प्रदान की है. बता दें कि ये सभी विश्वविद्यालय दिल्ली, गोवा, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, उत्तर पूर्वी क्षेत्र (NER) के हैं.
विशिष्ट एनसीसी और एमओडी पहल
बता दें कि ये राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) के माध्यम से रक्षा मंत्रालय (एमओडी) द्वारा एक चार्टर है, जो रक्षा मंत्रालय का अंग है. जो भारतीय सेना की सिफ़ारिश या नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल नहीं है.
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पारंपरिक सम्मानों से अलग
बता दें कि सेना में कर्नल की मानद उपाधि पारंपरिक सम्मानों से अलग है. क्रिकेटर एमएस धोनी (भारतीय सेना), सचिन तेंदुलकर (आईएएफ), कपिल देव (भारतीय सेना) जैसी खेल हस्तियों को भी इसी तरह की मानद रैंक दी जा चुकी हैं. यह नई नीति राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को मान्यता देते हुए शैक्षणिक पृष्टिभूमि से आने वाले लोगों को समान सम्मान प्रदान करती है.
शैक्षणिक प्रभाव की मान्यता
किसी भी विश्वविद्याल के कुलपतियों के लिए मानद रैंक उस महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है जो शिक्षा के क्षेत्र में युवाओं के अनुशासित, सर्वांगीण, देशभक्त और नैतिक रूप से मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है.
विश्वविद्यालयों में NCC की क्षमता बढ़ाने की पहल
कर्नल कमांडेंट के रूप में कुलपतियों का एकीकरण राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के समान कॉलेजों में अधिक एनसीसी बटालियनों की स्थापना को प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे छात्रों में अनुशासन के साथ राष्ट्रवाद के लिए उत्साह पैदा किया जा सके.
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सैन्य भर्ती में योगदान
एनसीसी के माध्यम से सैन्य मूल्यों और अनुशासन को बढ़ावा दिया जा सकता है. इस पहले से सशख्त बलों में अधिकारियों की कमी को दूर करने में मदद मिलती है. जो आगे चलकर एक फीडर संगठन के रूप में काम कर सकते हैं.
प्रेरणा देने की पहल
सेना की वर्दी में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को देखना छात्रों के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम करता है जो उन्हें राष्ट्रीय सेवा के विभिन्न रूपों पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है, फिर चाहे वह वर्दी में हो या फिर आम जीवन में.
रिपोर्ट- मधुरेंद्र