आज कल सोशल मीडिया पर देशभक्ति का ज्वार चढ़ा हुआ है. जिसे देखो वही खुद को सबसे बड़ा राष्ट्रवादी और देशभक्त बताने में लगा हुआ है. अपनी फोटो के आगे लिखा 'भारत माता की जय' और बन गया बड़ा देशभक्त. ऐसे लोगों को उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आईना दिखाते हुए कहा है कि राष्ट्रवाद का मतलब फोटो में 'भारत माता की जय', 'जय हो' नहीं है. सबके लिए जय हो, यही देशभक्ति है. अगर आप धर्म, जाति, शहरी-ग्रामीण के विभाजन के आधार पर लोगों से भेदभाव करते हैं तो आप 'भारत माता की जय हो' कहने के लायक नहीं हैं.
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने एक चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में कहा कि शिक्षा प्रणाली की ओवरहालिंग लंबे समय से चली आ रही है. हमें पूरी तरह से औपनिवेशिक मानसिकता को खत्म करना चाहिए, छात्रों के बीच वास्तविक इतिहास, प्राचीन सभ्यता, संस्कृति और विरासत और राष्ट्रवाद के मूल्यों को सिखाना चाहिए.
उन्होंने कहाकि हमारे लिए बहुत सारे अवसर हैं. युवाओं को इस अवसर को जब्त करना चाहिए और भय, भ्रष्टाचार, भूख, भेदभाव, अशिक्षा, गरीबी, जाति बाधाओं और शहरी-ग्रामीण विभाजन से मुक्त एक नए भारत के निर्माण का प्रयास करना चाहिए. यही वह न्यू इंडिया है जिसे हम देखना चाहते हैं.