विकास दुबे (Vikas Dubey) एनकाउंटर मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पूर्व जज बीएस चौहान की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया गया है. यह आयोग दो महीने में अपनी जांच पूरी कर राज्य सरकार और सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपेगा. सुप्रीम कोर्ट में बुधवार इस मामले की सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए तुषार मेहता ने कहा कि जांच आयोग इस की जांच करेगा कि 64 आपराधिक केस लंबित रहने के बावजूद विकास दुबे कैसे ज़मानत या पैरोल पर बाहर आने में कामयाब हो गया. कोर्ट ने इस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ये सबसे महत्वपूर्ण पहलू है, जिसकी जांच होनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इस केस को लेकर राज्य से जुड़ी तमाम ऑथोरिटी के रोल की जांच ज़रूरी है.
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यूपी सरकार ने अपनी ओर से गठित न्यायिक आयोग में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएस चौहान और प्रदेश के पूर्व डीजीपी के एल गुप्ता को शामिल करने का सुझाव दिया है. पिछ्ली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से गठित आयोग में एक सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और पूर्व पुलिस अधिकारी को जोड़ने का निर्देश दिया था. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकीलों ने कई सवाल उठाए. मसलन यूपी सरकार की तरफ से कमीशन के सदस्यों के नाम तय किए जाने पर एतराज जताया. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि मैंने जस्टिस चौहान के साथ काम किया है. शायद मैं भी अपनी तरफ से उनका ही नाम सुझाता. इसके अलावा वकील घनश्याम उपाध्याय ने आयोग का दफ्तर दिल्ली में रखने की मांग की. कोर्ट ने कहा कि मामला कानपुर का है. कोर्ट ने जांच की निगरानी करने की मांग भी ठुकराई. कोर्ट ने कहा कि आयोग वहीं से काम करेगा.
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जरूरी हुआ तो CBI या NIA का भी लेंगे सहयोग
कोर्ट ने साफ़ किया कि इस आयोग के चलते 2-3 जुलाई को मुठभेड़ में मारे गए पुलिसकर्मियों को लेकर चल रहे ट्रायल पर कोई असर नहीं पड़ेगा. केन्द्र सरकार आयोग को ज़रूरी सहयोग देगी. सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा अगर ज़रूरत पड़ी तो सीबीआई या एनआईए का भी सहयोग लिया जाएगा.
Source : News Nation Bureau