शीला दीक्षित शादी से पहले विनोद दीक्षित (तब दोस्त) के साथ बस से अकसर फ़िरोज़शाह रोड जाती थीं. शीला ने एक इंटरव्यू में बताया था, 'हम दोनों DTC की 10 नंबर बस में बैठे थे. अचानक चांदनी चौक के सामने विनोद ने कहा, मैं अपनी मां से कहने जा रहा हूं कि मुझे वो लड़की मिल गई है, जिससे मुझे शादी करनी है. शीला दीक्षित ने विनोद से पूछा- क्या तुमने लड़की से बात कर ली है? विनोद का जवाब था- 'नहीं, लेकिन वो लड़की अभी मेरे साथ बगल में सफर कर रही है. शीला दीक्षित यह सुनकर अवाक रह गई थीं. शीला दीक्षित तब तो कुछ नहीं बोली थीं, लेकिन घर आकर खुशी से पागल हो गई थीं. दो साल बाद इन दोनों की शादी हुई. विनोद के घरवालों ने इसका काफी विरोध किया, क्योंकि शीला ब्राह्मण नहीं थीं. विनोद ने 'IAS' की परीक्षा दी और पूरे देश में उन्हें नौंवा स्थान हासिल हुआ था. उन्हें उत्तर प्रदेश काडर मिला था.
एक लड़की भीगी-भीगी सी
एक दिन लखनऊ से अलीगढ़ आते समय विनोद की ट्रेन छूट गई थी. शीला दीक्षित से उन्होंने अनुरोध किया कि वो उन्हें ड्राइव कर कानपुर ले चलें, ताकि वो वहां से अपनी ट्रेन पकड़ लें. शीला दीक्षित रात में भारी बारिश के बीच विनोद को कार में बैठा कर 80 किलोमीटर दूर कानपुर ले आई. वो अलीगढ़ वाली ट्रेन पर चढ़ गए और शीला दीक्षित कार से वापस हो चलीं. तब उन्हें कानपुर के बारे में ज्यादा पता नहीं था. तब रात के डेढ़ बजे थे. शीला ने कुछ लोगों से लखनऊ जाने का रास्ता पूछा. रास्ते का तो पता नहीं चला पर कुछ मनचले शीला दीक्षित को देखकर किशोर कुमार का गाना गुनगुनाने लगे- 'एक लड़की भीगी भीगी सी...' तभी कॉन्स्टेबल आ गया और उन्हें थाने ले गया. वहां से शीला ने एसपी ऑफिस फोन किया, जो उन्हें जानते थे. उन्होंने दो पुलिस वालों को शीला दीक्षित के साथ कर दिया. तब शीला दीक्षित खुद कार ड्राइव कर सुबह 5 बजे लखनऊ पहुंची थीं.
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इंदिरा गांधी को काफी पसंद आयी थी आइस्क्रीम
शीला दीक्षित के ससुर उमाशंकर दीक्षित इंदिरा गांधी की सरकार में गृह मंत्री हुआ करते थे. एक दिन उमाशंकर दीक्षित ने इंदिरा गांधी को खाने पर बुलाया. तब शीला दीक्षित ने इंदिरा गांधी को भोजन के बाद गर्मागर्म जलेबियों के साथ वनीला आइसक्रीम सर्व की थी. बताते हैं कि इंदिरा गांधी को यह प्रयोग बहुत पसंद आया था. अगले ही दिन इंदिरा गांधी ने अपने रसोइए को इसकी विधि जानने के लिए शीला दीक्षित के यहां भेजा था.
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एक फोन ने हिलाकर रख दिया था
एक इंटरव्यू में शीला दीक्षित ने बताया कि इंदिरा गांधी की हत्या की सबसे पहले ख़बर मेरे ससुर उमा शंकर दीक्षित को मिली थी, जो तब पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे. जैसे ही विंसेंट जार्ज के एक फ़ोन से उन्हें इसका पता चला, उन्होंने मुझे एक बाथरूम में ले जाकर दरवाज़ा बंद किया और कहा कि मैं किसी को इसके बारे में न बताऊ. जब शीला दिल्ली जाने वाले जहाज़ में बैठीं तो राजीव गांधी को भी इसके बारे में पता नहीं था. ढाई बजे वो कॉकपिट में गए और बाहर आकर बोले- इंदिराजी नहीं रहीं.' राजीव ने पूछा कि ऐसी परिस्थितियों में क्या करने का प्रावधान है? प्रणब मुखर्जी ने जवाब दिया, पहले भी ऐसे हालात हुए हैं. तब वरिष्ठतम मंत्री को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाकर बाद में प्रधानमंत्री का विधिवत चुनाव हुआ है.
केजरीवाल जी को गंभीरता से लेना चाहिए था
एक इंटरव्यू में शीला दीक्षित ने कहा था- केजरीवालजी ने बहुत सारी चीज़ें कह दीं कि 'फ़्री' पानी दे दूंगा, 'फ़्री' बिजली दे दूंगा, इससे लोग उनकी बातों में आ गए. दूसरी बात यह कि जितनी गंभीरता से हमें केजरीवाल जी को लेना चाहिए था, हमने उन्हें नहीं लिया.''
Source : News Nation Bureau