PM बाल पुरस्कार से सम्मानित विराट फिर से चर्चा में, Africa की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया था तिरंगा

विराट चंद्र ने एएनआई को बताया, मैं हर दिन 6-7 किलोमीटर दौड़ता था. साथ ही उठक-बैठक, सूर्यनमस्कार और ध्यान करता था. वहां बहुत ठंड थी, लेकिन हमने शरीर में दर्द के बावजूद शिखर पर पहुंचने के लिए ध्यान केंद्रित किया. 

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Vijay Shankar
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Virat Chandra

Virat Chandra ( Photo Credit : File)

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9-Year-Old Awarded PM Bal Puraskar : पिछले साल मार्च में तेलंगाना के मात्र सात साल के बच्चे ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया था जिसे सुनकर हर कोई गर्व महसूस किया था. हैदराबाद (Hyderabad, Telangana) के सात साल के पर्वातारोही विराट चंद्रा (Virat Chandra) ने अफ्रीका के सबसे ऊंचे पर्वत पर फतह हासिल करके सबको चौंका दिया था. विराट ने बेहद कम उम्र में अफ्रीका के माउंट किलिमंजारो (Mount Kilimanjaro) पर चढ़ाई कर तिरंगा फहराकर जो कारनामा किया था वह अभी भी लोगों के जेहन में है. कहते हैं कि तंजानिया की माउंट किलिमंजारो ऐसी चोटी है जहां ठंड की वजह से अच्छे-अच्छे पर्वतारोही भी घबरा जाएं, लेकिन सात साल के इस नन्हे बच्चे ने इस पर जीत हासिल कर देश का नाम रोशन कर दिया था. अब नौ साल के हो चुके विराट चंद्र तेलुकुंटा को किलिमंजारो पर्वत पर चढ़ने के लिए खेल में प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार से सम्मानित करने के बाद एक बार से फिर चर्चा में है.

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विराट चंद्र ने एएनआई को बताया, मैं हर दिन 6-7 किलोमीटर दौड़ता था. साथ ही उठक-बैठक, सूर्यनमस्कार और ध्यान करता था. वहां बहुत ठंड थी, लेकिन हमने शरीर में दर्द के बावजूद शिखर पर पहुंचने के लिए ध्यान केंद्रित किया. किलिमंजारो पर्वत पर चढ़ते हुए विराट चंद्र ने अत्यधिक ठंड के मौसम, उंगलियों के दर्द, हाथ दर्द और सर्द मौसम के कारण पैर दर्द जैसी चुनौतियों का सामना किया, लेकिन इन सभी को दरकिनार कर लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ता गया. अपने भविष्य के अभियानों के बारे में बात करते हुए विराट ऑस्ट्रेलियाई शिखर सम्मेलन में भाग लेने की योजना बना रहा है और सीमा प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद माउंट कोसियस्ज़को पर चढ़ने की योजना बना रहा है. 

पिता ने कहा, विराट की बात से शुरू में डर गए थे

विराट के पिता शरथ ने एएनआई को बताया, जब विराट ने उन्हें पर्वतारोहण करने के लिए बताया तो हम शुरू में डर गए, लेकिन एक अच्छे ट्रेनर की खोज के बाद और विराट के प्रशिक्षण के परिणामों को देखने के बाद हमें विश्वास था कि विराट पर्वतारोहण के लिए सफल हो सकता है. जब वह बेस कैंप में लौटे तो मैं टूट गया. मैं उनके साथ शिखर पर जाना चाहता था, लेकिन सांस लेने में तकलीफ के कारण मुझे वहीं रहना पड़ा. यह मेरे लिए कठिन था, क्योंकि मैं हमेशा उनके साथ रहता हूं. विराट की मां माधवी ने एएनआई को बताया, इतनी कम उम्र में पर्वतारोहण मुश्किल है और वह चाहती है कि सभी माता-पिता अपने बच्चों को उनके सपनों को पूरा करने दें.   

75 दिनों की कठोर ट्रेनिंग के बाद पहुंचे थे शिखर पर

विराट 75 दिनों की कठोर ट्रेनिंग और 5 मार्च को चढ़ाई शुरू करने के बाद 6 मार्च 2021 को अपने कोच भरत थामिनी के साथ अफ्रीकी पर्वत के शिखर पर पहुंचे थे. विराट के इस अभियान का नेतृत्व करने वाले भरत ने कहा था कि किलिमंजारो पर ट्रेनिंग के बाद भी चढ़ाई करना आसाना है. मैंने उनमें से कइयों को पीछे हटते हुए देखा है.

अफ्रीका के सबसे ऊंचे स्थान को किया था फतह

सिकंदराबाद स्थित गीतांजलि देवशाला स्कूल में पढ़ने वाले छात्र विराट ने बताया था कि मैं इस मुकाम को हासिल करने के लिए सुबह के 9 बजे किबु से रवाना हुआ था. यह 4,720 मीटर की ऊंचाई थी. यह यात्रा बहुत चुनौतीपूर्ण थी. विराट ने कहा, हमने बहुत कठोर जलवायु का सामना किया. वहां पहुंचने के बाद, हमने जल्दी खाना खाया और सो गए. इसके बाद अगली सुबह 3.40 बजे उरु चोटी के लिए हमारी यात्रा शुरू हुई, जो अफ्रीका का सबसे ऊंचा स्थान है.

HIGHLIGHTS

  • अब माउंट कोसियस्ज़को पर चढ़ने की योजना बना रहा है विराट
  • अफ्रीका के माउंट किलिमंजारो पर चढ़ाई कर फहराया था तिरंगा
  • विराट की मां ने कहा, माता-पिता अपने बच्चों को उनके सपनों को करने दें पूरा 

 

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