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अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, कल्‍याण सिंह के साथ विष्‍णु हरि डालमिया भी थे अभियुक्‍त

6 दिसंबर 1992 को उत्‍तर प्रदेश के अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस (Babri Masjid demolition) मामले में कई दिग्गज नेताओं के साथ विष्‍णु हरि डालमिया (Vishnu Hari Dalmia) का भी नाम है.

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Drigraj Madheshia
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अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, कल्‍याण सिंह के साथ विष्‍णु हरि डालमिया भी थे अभियुक्‍त

6 दिसंबर 1992 को उत्‍तर प्रदेश के अयोध्‍या में बाबरी मस्जिद विध्‍वंस का फाइल फोटो

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6 दिसंबर 1992 को उत्‍तर प्रदेश के अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस  (Babri Masjid demolition) मामले में कई दिग्गज नेताओं के साथ विष्‍णु हरि डालमिया (Vishnu Hari Dalmia) का भी नाम है. डालमिया के अलावा बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी (LK Advani) समेत 13 नेताओं के खिलाफ सीबीआई (CBI) ने पूरक चार्जशीट दाखिल की थी. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा था कि सिर्फ टेक्नीकल ग्राउंड पर इन नेताओं को राहत नहीं दी जा सकती.

इस मुकदमे की पहली जांच उत्तर प्रदेश पुलिस की सीआईडी (CID) और क्राइम ब्रांच (Crime Branch) ने की थी. सीआईडी ने 1993 में 8 अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. बता दें बुधवार को डालमिया का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया.

ये थे मुख्य आरोपी

इस घटना से जुड़े केस नंबर 198 में पुलिस अधिकारी गंगा प्रसाद तिवारी ने आठ लोगों के खिलाफ राम कथा कुंज सभा मंच से मुस्लिम समुदाय के खिलाफ धार्मिक उन्माद भड़काने वाला भाषण देकर बाबरी मस्जिद गिरवाने का मुकदमा कायम कराया था. विध्वंस के बाद जिन दक्षिणपंथी नेताओं को नामजद अभियुक्त बनाया गया था, उनमें लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विनय कटियार, उमा भारती, विष्णु हरि डालमिया और साध्वी ऋतंभरा के नाम शामिल थे. उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए, 153बी, 505, 147 और 149 के तहत मुकदमे दायर थे. जिनकी सुनवाई रायबरेली की विशेष अदालत में कई साल चलती रही. इसके बाद कुछ मामले लखनऊ ट्रांसफर हुए तो कुछ सुप्रीम कोर्ट चले गए.

डालमिया ने कहा था-मंदिर को तोड़कर बनाया गया था मस्जिद

वीएचपी के पूर्व अध्यक्ष विष्‍णु हरि डालमिया ने एक साल पहले कहा था, "राम जन्मभूमि के मामले में...एक समय में मुसलमानों ने इस बात पर सहमति जताई थी कि अगर यह साबित हो जाता है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाया गया था, तो वे संपत्ति पर अपना दावा वापस ले लेंगे. मुसलमानों की इस प्रतिबद्धता का उल्लेख तत्कालीन सरकार द्वारा जारी श्वेत-पत्र में भी है. तो क्या, उनके साथ ताजा वार्ता करने की अब जरूरत नहीं है?"

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इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के एक फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पूरी जांच-पड़ताल के बाद कोर्ट यह स्पष्ट कर चुका है कि बाबरी मस्जिद की जगह पर पहले मंदिर था, जिसे ध्वस्त किया गया था.

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उन्‍होंने यह भी कहा था, "अब यह केवल सरकार पर निर्भर है कि वह सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे के अनुसार कार्रवाई करे, जिसमें कहा गया है कि अगर यह साबित हो जाता है कि बाबरी मस्जिद की जगह पर पहले मंदिर था और उसे ध्वस्त किया गया था, तो वे राम मंदिर के निर्माण के लिए हिंदुओं का समर्थन करेंगे और अगर यह साबित नहीं होती है कि वहां पहले मंदिर था, तो वह उसी जगह पर मस्जिद का निर्माण करने के लिए मुसलमानों का पक्ष लेंगे."

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डालमिया ने कहा था, "सुप्रीम कोर्ट को हाई कोर्ट की केवल उस गलती को ठीक करनी है, जिसमें उसने भूमि को तीन भागों में बांटकर तीन पक्षों को दे दिया था. इसलिए अब केवल सरकार को उस हलफनामे के आधार पर कार्रवाई करनी है, जिसे मुसलमानों ने दाखिल किया था."

Source : News Nation Bureau

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