विश्व हिंदू परिषद (VHP) के पूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु हरि डालमिया (91) का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. डालमिया राम जन्मभूमि मार्गदर्शक मंडल के सदस्य भी थे. बुधवार सुबह उन्होंने अपने गोल्फ लिंक स्थित आवास पर अंतिम सांस ली. वह लंबे समय तक मथुरा स्थित भगवान श्रीकृष्ण जन्मस्थान के प्रबंधन्यासी भी रहे. गायों और दरिद्र नारायण की सेवा में जीवनपर्यंत उन्होंने उल्लेखनीय योगदान दिया था. डालमिया को पिछले महीने ही दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
VHP के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने बताया कि बुधवार को उनका पार्थिव शरीर शाम 3 बजे तक उनके निवास 18 गोल्फ लिंक, नई दिल्ली पर रखा जाएगा. इसके बाद शाम 4.30 बजे दिल्ली के निगमबोध घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. विष्णु हरि डालमिया 1979 में विहिप से जुड़े रहे और फिर उपाध्यक्ष, कार्याध्यक्ष के बाद 2005 तक अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. इतना ही नहीं, वे राम जन्मभूमि मार्गदर्शक मंडल के सदस्य भी थे.
डालमिया ने कहा था-मंदिर को तोड़कर बनाया गया था मस्जिद
वीएचपी के पूर्व अध्यक्ष विष्णु हरि डालमिया ने एक साल पहले कहा था, "राम जन्मभूमि के मामले में...एक समय में मुसलमानों ने इस बात पर सहमति जताई थी कि अगर यह साबित हो जाता है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाया गया था, तो वे संपत्ति पर अपना दावा वापस ले लेंगे. मुसलमानों की इस प्रतिबद्धता का उल्लेख तत्कालीन सरकार द्वारा जारी श्वेत-पत्र में भी है. तो क्या, उनके साथ ताजा वार्ता करने की अब जरूरत नहीं है?"
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इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के एक फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पूरी जांच-पड़ताल के बाद कोर्ट यह स्पष्ट कर चुका है कि बाबरी मस्जिद की जगह पर पहले मंदिर था, जिसे ध्वस्त किया गया था.
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उन्होंने यह भी कहा था, "अब यह केवल सरकार पर निर्भर है कि वह सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे के अनुसार कार्रवाई करे, जिसमें कहा गया है कि अगर यह साबित हो जाता है कि बाबरी मस्जिद की जगह पर पहले मंदिर था और उसे ध्वस्त किया गया था, तो वे राम मंदिर के निर्माण के लिए हिंदुओं का समर्थन करेंगे और अगर यह साबित नहीं होती है कि वहां पहले मंदिर था, तो वह उसी जगह पर मस्जिद का निर्माण करने के लिए मुसलमानों का पक्ष लेंगे."
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डालमिया ने कहा था, "सुप्रीम कोर्ट को हाई कोर्ट की केवल उस गलती को ठीक करनी है, जिसमें उसने भूमि को तीन भागों में बांटकर तीन पक्षों को दे दिया था. इसलिए अब केवल सरकार को उस हलफनामे के आधार पर कार्रवाई करनी है, जिसे मुसलमानों ने दाखिल किया था."
Source : News Nation Bureau