केंद्रीय परिवहन राज्य मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख वी के सिंह के एक गैर जिम्मेदाराना बयान के कारण भारत सरकार की कुटनीतिक हल्कों में खासी किरकिरी हो रही है. वी के सिंह के इस बयान के कारण चीन को भारत पर निशाना साधने का मौका मिल गया है. अंग्रेजी अखबार द हिंदु के मुताबिक,केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह ने दिए एक बयान में कहा कि, "आप में से किसी को भी पता नहीं है कि हमने कितनी बार अतिक्रमण किया, चीनी मीडिया इसे कवर नहीं करता है, मैं आपको पूरे भरोसे से कह सकता हूं किअगर चीन ने 10 बार अतिक्रमण किया है, तो हमने कम से कम 50 बार किया होगा."
जनरल वीके सिंह ने बीते रविववार को कहा था कि भारत ने चीन की तुलना में ज्यादा बार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी का उल्लंघन किया है .सिंह के अनुसार, जब चीन ने 2020 में पूर्वी लद्दाख में अतिक्रमण किया तब भारत ने उसे उसी के तरीके जवाब देने की धमकी दी है. वीके सिंह ने दावा किया था कि पहले चीनी सेना भारतीय सीमा के भीतर कैंप बना लेते थे और बातचीत के बाद आंशिक रूप से पीछे हटते थे लेकिन वर्तमान सरकर ने इसे सुनिश्चित किया है कि दोबारा चीन ऐसा नहीं कर सके चीन अभी दबाव में है चीन अब इस बात को समझता है कि उसने कोई गलती की तो भारत जवाब देगा.
चीन ने वीके सिंह के इस बयान का इस्तेमाल अपने कूटनीतिक हितों को साधने के लिए करना शुरू कर दिया है. चीन के प्रवक्ता के अनुसार,'भारत ने अनजाने में ही अपनी गलती मान ली है कि वो लगातार एलएसी का उल्लंघन करता रहा है.'
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने जनरल वीके सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि,", यह भारत की ओर से अनजाने में मानी गई गलती है. भारत लंबे समय से सीमा का उल्लंघन कर रहा है और यह चीनी सीमा में अतिक्रमण की तरह है, इससे लगातार तनाव की स्थिति पैदा होती है . भारत चीन सीमा विवाद की जड़ यही है. ,मैं भारत से अनुरोध करूंगा कि वो सीमा समझौतों का पालन करे ताकि सरहद पर शांति और स्थिरता बनी रहे.''
चीन के प्रवक्ता ने यह बयान एक नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया है. मालूम हो कि जनरल वीके सिंह की यह टिप्पणी भारत की आधिकारिक पोजिशन से बिल्कुल अलग है भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कई बार स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत ने कभी भी एलएसी का उल्लंघन नहीं किया है.
हालांकिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा था कि,' भारत और चीन की सेना के शीर्ष कमांडर पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को लेकर नौ दौर की वार्ता कर चुके हैं और भविष्य में भी ऐसी वार्ताएं जारी रहेंगी लेकिन अब तक हुईं वार्ताओं का कोई नतीजा नहीं निकला है.'
बता दें कि भारतीय सैनिकों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सामान्य गश्त के बिंदु से परे चीनी घुसपैठ का पता लगाए जाने के बाद पूर्वी लद्दाख में मई की शुरुआत से ही भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच कई झड़पें हो चुकी हैं.
पूर्वी लद्दाख के पेंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर भारत और चीन के सैनिक के बीच पांच और छह मई,2020 की रात हुई हिंसक झड़प के बाद नौ मई 2020 को नाकु ला में भी दोनों देशों की सेना आमने.सामने आ गई थी. इन दोनों झड़पों में दोनों देशों के दर्जनों सैनिक घायल हुए थे. सबसे गंभीर झड़प 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई थी, जब एक हिंसक लड़ाई में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे .मालूम हो कि लद्दाख में शुरू हुए गतिरोध के बाद भारतीय सेना ने 3ए500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी ताकत मजबूत की है.
भारत का साफ तौर पर कहना है कि यह चीन की जिम्मेदारी है कि सैनिकों को पीछे ले जाने की प्रक्रिया शुरू करे और पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाले इलाके में तनाव कम करे.पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के करीब एक लाख सैनिक तैनात हैं. बीते 20 जनवरी को उत्तरी सिक्किम के नाकू ला में भी दोनों देशों के सैनिक आमने.सामने आए गए थे. इस दौरान हुई झड़प में दोनों देशों के जवान घायल भी हुए थे.इससे पहले अरुणाचल प्रदेश में चीन द्वारा एक गांव बसाए जाने की खबरों की पुष्टि करते हुए 19 जनवरी को विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह देश की सुरक्षा पर असर डालने वाले समस्त घटनाक्रमों पर लगातार नजर रखता है और अपनी संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाता है.
HIGHLIGHTS
- भारत का साफ तौर पर कहना है कि यह चीन की जिम्मेदारी है कि सैनिकों को पीछे ले जाने की प्रक्रिया शुरू करे
- वी के सिंह के इस बयान के कारण चीन को भारत पर निशाना साधने का मौका मिल गया है.
- भारत ने चीन की तुलना में ज्यादा बार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी का उल्लंघन किया है
Source : News Nation Bureau