लोकसभा चुनाव 2019 में EVM की विश्वसनीयत पर विपक्षी दलों की ओर से जमकर सवाल उठाए गए. मांग यह भी हुई कि ईवीएम और वीवीपैट की ज्यादा से ज्यादा पर्चियों का मिलान किया जाए. लेकिन चुनाव आयोग के आंकड़े कहते हैं कि ईवीएम और वीवीपैट का मिलान पूरी तरह से सही है.
जिस भी ईवीएम और वीवीपैट की पर्ची का मिलन किया गया. वह 100 प्रतिशत सही साबित हुआ. सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों के मुताबिक 20625 वीवीपैट में से एक भी मशीन के आंकड़े बदले हुए नहीं मिले. जितने वोट ईवीएम मशीन पर दिखे वीवीपैट में से उतनी ही पार्चियां बाहर आईं.
लोकसभा चुनाव 2019 में 90 करोड़ मतदाताओं ने नई सरकार के लिए अपना मत दिया. जिसके लिए आयोग ने कुल 22.3 लाख बैलेट यूनिट और 16.3 लाख कंट्रोल यूनिट और 17.3 लाख वीवीपैट इस्तेमाल हुई. इस बार 17.3 लाख वीवीपैट में से 20,625 वीवीपैट का ईवीएम से मिलान किया गया. जबकि पिछली बार महज 4125 वीवीपैट का ईवीएम से मिलान किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि कम से कम 5 पोलिंग बूथ के ईवीएम और वीवीपैट का मिलान किया जाए. जिसके बाद चुनाव आयोग ने हर लोकसभा सीट से कम से कम पांच पोलिंग बूथ के ईवीएम और वीवीपैट के मिलान की व्यवस्था की थी. ईवीएम में पड़े वोटों की जानकारी और रिकॉर्ड के लिए 2013-14 में वीवीपैट की व्यवस्था की गई थी.
ईवीएम से छेड़छाड़ की संभावना को देखते हुए चेन्नई के एक NGO ने ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के 100 प्रतिशत मिलान को लेकर याचिका दायर की थी. हालांकि कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था. हालांकि पूर्व चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी के मुताबिक आंध्र प्रदेश में केवल एक गलती पाई गई थी. जिसका कारण मशीन का खराब होना था.
HIGHLIGHTS
- सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी याचिका
- सुप्रीम कोर्ट ने कम से कम 5 ईवीएम के मिलान का दिया था आदेश