राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने कहा कि भारत स्वाधीनता के सौवें वर्ष की ओर आगे बढ़ रहा है. इस अवसर तक देश को अपनी कई उपलब्धियों के लिए जाना जाएगा और इसकी गिनती दुनियाभर के प्रमुख देशों में होगी. उन्होंने कहा, आप सभी भारत की स्वाधीनता के सौवें वर्ष और उसके बाद भी देखेंगे. उस समय तक एक अलग भारत होगा. पिछले कुछ वर्षों में हमने जो हासिल किया है, वह सिर्फ एक संकेत है कि देश किस दिशा में बढ़ रहा है. डोभाल (Ajit Doval) ने यह भी कहा कि युद्ध महंगा है और साथ ही इसके परिणाम भी तय नहीं होते है. हैदराबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में भारतीय पुलिस सेवा के प्रोबेशनरी अधिकारियों के 73वें बैच की पासिंग आउट परेड को संबोधित करते हुए अजित डोभाल ने कहा कि भारत की संप्रभुता तटीय क्षेत्रों से लेकर सीमावर्ती क्षेत्रों के अंतिम पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र तक जाती है.
युद्ध राजनीतिक-सैन्य उद्देश्य हासिल करने के अब साधन नहीं
इसके साथ ही एनएसए अजित डोभाल ने कहा, 'युद्ध अब राजनीतिक या सैन्य उद्देश्यों को हासिल करने के प्रभावी साधन नहीं रह गए हैं. युद्ध महंगे हैं और वहन करने योग्य नहीं है. साथ ही इसके परिणाम को लेकर भी अनिश्चितता रहती है.' राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के अलावा, पाकिस्तान, चीन, म्यांमार और बांग्लादेश जैसे देशों से लगती भारत की 15,000 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा के प्रबंधन में पुलिस बलों की बड़ी भूमिका है. उन्होंने कहा कि भारत के 32 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के हर हिस्से में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी पुलिस बलों की है. उन्होंने कहा, ‘सिर्फ वही पुलिसिंग ही नहीं जिसमें आप लोगों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया गया है बल्कि इसका भी विस्तार होगा. आप इस देश के सीमा प्रबंधन के लिए भी जिम्मेदार होंगे. पंद्रह हजार किलोमीटर की सीमा, जिसमें से ज्यादातर हिस्से की अपनी ही तरह की समस्याएं हैं.’
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लोकतंत्र का मर्म मतपेटी नहीं, कानूनों में निहित
डोभाल ने कहा कि लोकतंत्र का मर्म मतपेटी में नहीं बल्कि कानूनों में निहित होता है जो निर्वाचन प्रक्रिया से चुने गए लोगों की ओर से बनाए जाते हैं. उन्होंने कहा, ‘जहां कानून प्रवर्तक कमजोर, भ्रष्ट और पक्षपातपूर्ण हैं वहां लोग सुरक्षित महसूस नहीं कर सकते.’ उन्होंने कहा कि पुलिस को अन्य संस्थानों के साथ मिलकर काम करना होगा जिसके लिए उन्हें देश की सेवा करने के लिहाज से सकारात्मक सोच की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘यदि आंतरिक सुरक्षा विफल होती है तो कोई देश महान नहीं बन सकता. अगर लोग सुरक्षित नहीं हैं तो वे आगे नहीं बढ़ सकते और संभवत: देश भी कभी आगे नहीं बढ़ेगा.’
HIGHLIGHTS
- आंतरिक सुरक्षा विफल रहने पर कोई भी देश कतई महान नहीं बन सकता
- अपनी स्वाधीनता के 100वें वर्ष तक भारत की गिनती दुनिया के प्रमुख देशों में
- पिछले कुछ वर्षों में हासिल उपलब्धियां देश के आगे बढ़ने की दिशा का संकेत