नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) को लेकर दिल्ली में पिछले तीन दिनों से हो रही हिंसा में मरने वालों का आकंड़ा 20 के पार पहुंच गया है. उत्तर-पूर्वी दिल्ली में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा के दौरान कई वाहनों को फूंक दिया गया. घरों और दुकान में आग लगा दी गई. अब दिल्ली (Delhi) में हिंसा थमने और तनावपूर्ण शांति कायम होने के बीच इस पर सियासत गरमाने लगी है. शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने दिल्ली में हुई हिंसा के लिए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता वारिस पठान और शाहीनबाग के प्रदर्शन को जिम्मेदार ठहराया है.
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अपने बयानों की वजह से लगातार चर्चाओं में बने रहने वाले वसीम रिजवी ने दिल्ली की हिंसा पर कहा, 'जलता हुई दिल्ली, वारिस पठान के बयान और शाहीन बाग में बैठी जाहील नानियों और दादियों के प्रदर्शन का नतीजा है.' कांग्रेस पर हमला बोलते हुए शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने लोगों से आग्रह किया कि कांग्रेसी जहर का प्याला मत पीयो और उसके जाल में फंसकर सरकार के खिलाफ माहौल मत बनाओ. रिजवी ने कहा कि सरकार हमारी है, देश भी हमारा है और सीएए कानून हमारा है. उन्होंने कहा कि देश पर कुर्बान होने का जज्बा रखो, आपस में लड़कर जान गंवाने वाले को कोई शहीद नहीं कहता है.
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गौरतलब है कि वसीम रिजवी देश में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हो रहे विरोध-प्रदर्शनों पर सख्त बयानबाजी करते रहे हैं. हाल ही में रिजवी ने एक बयान में कहा था कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो इस्लामिक दाढ़ी और बगैर मूंछ के डरावने चेहरे हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब को तार-तार कर देंगे. उन्होंने यहां तक कहा था कि शाहीनबाग जैसे देश में हजारों धरने प्रदर्शन हो जाएं. मगर सीएए पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा था कि शाहीनबाग का धरना हक मांगने की लड़ाई नहीं, बल्कि हिंदुओं का हक छीनने की जिद है.
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