केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने गुरुवार को अपनी सप्ताहिक बुलेटन में जल संकट को सामने रखा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में 150 जलाशयों में बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) में उपलब्ध भंडारण की कमी देखी गई है. इस रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि उत्तरी राज्यों की तुलना में दक्षिणी राज्य में पानी का संकट ज्यादा गहराता जा रहा है. गर्मी के मौसम में पानी की कमी देखने को मिली है. पानी को लेकर लंबी-लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं. सीडब्ल्यूसी की साप्ताहिक बुलेटिन के अनुसार, उत्तरी राज्यों में नदी बेसिनों की मौजूदा क्षमता बीते 10 वर्षों में औसत क्षमता से ज्यादा है. गुरुवार को केंद्रीय जल आयोग के साप्ताहिक बुलेटिन में उपलब्ध भंडारण 39.765 बीसीएम है. यह इन जलाशयों की कुल क्षमता का 22 प्रतिशत है. यह बीते वर्ष उपलब्ध भंडारण से कम है. ये 50.549 बीसीएम था और 10 साल के औसत 42.727 बीसीएम से भी कम है.
औसत से ज्यादा जल भंडारण क्षमता
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि हालांकि गंगा और उसकी सहायक नदियों में इस साल औसत से ज्यादा जल भंडारण क्षमता है, मगर क्षेत्र के जलाशयों में पानी एकत्र करने की कम क्षमता उपलब्ध है. रिपोर्ट में खासतौर पर हिमाचल प्रदेश को जलाशयों और नदी घाटियों में बीते 10 वर्षों की तुलना में बेहतर भंडारण वाले राज्यों के रूप में देखा जाता है.
राजधानी बात की जाए यहां पर झीलों और तालाबों जैसे जल निकायों के उपयोग में कमी है. जल मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 735 प्रतिशत सतही जल निकाय अपशिष्ट और सूखने के कारण उपयोग करने योग्य नहीं थे. दिल्ली पानी की कमी से जूझ रहा है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश को दिल्ली के पानी छोड़ने का आदेश दिया है. राजधानी का पानी हिमाचल प्रदेश और हरियाणा पर निर्भर है.
पानी पर दावों की वजह से संघर्ष
जहां उत्तरी राज्य जलाशय में कम जल स्तर से जूझ रहे हैं. वहीं दक्षिणी राज्य भी सूखने वाली नदियों कावेरी और कृष्णा में बेसिन क्षमता की कमी का सामना कर रही हैं. दक्षिणी राज्य अंतर-राज्य जल बंटवारा समझौतों जैसे कावेरी बांध के मुद्दे और कर्नाटक और तमिलनाडु की ओर से इसके पानी पर दावों की वजह से संघर्ष करते हैं. दक्षिणी राज्यों में जलाशयों में मौजूदा भंडारण बीते साल के 23 प्रतिशत से घटकर 13 प्रतिशत पर आ गया है. बेंगलुरु जैसे शहरों को पानी की कमी से निपटने को लेकर दो दिन की पानी आपूर्ति में कटौती का सामना करना पड़ रहा है.
Source : News Nation Bureau