पश्चिम बंगाल में अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर करीब 45 दिनो से प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों और पुलिस प्रशासन के बीच एक बार फिर हिंसक झड़प हुई है। पुलिस और जीजेएम कार्यकर्ताओं के बीच ये झड़प भूटान सीमा पर हुई। इससे पहले अलीपुरद्वार के जयगांव में हुई हिंसक झड़प में कई पुलिस वाले गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।
पुलिस ने हिंसा को रोकने और आंदोलनकारियों को नियंत्रित करने के लिए रबड़ की गोलियां और आंसू गैस का इस्तेमाल भी किया। 23 जुलाई को पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा था कि जीजेएम अब हथियार बंद विद्रोह की तैयारी कर रह है और इसके लिए माओवादियों के कैडरों को अपने संगठन में भर्ती किया है।
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बंगाल के एडीजे (लॉ एंड ऑर्डर) अनुज शर्मा ने कहा था, 'हमारे पास खुफिया एजेंसियों से मिला इनपुट है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने पड़ोसी देशों से माओवादियों के कैडरों को भर्ती किया है जो सरकारी संपत्तियों और पुलिस के बड़े अधिकारियों को निशाना बना सकते हैं। साथ ही माओवादी आंदोलन को हिंसक बनाने की तैयारी में हैं।'
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24 जुलाई को केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख बिमल गुरुंग समेत 21 अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की मांग की थी। मदन तमांग हत्याकांड मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद नहीं होने के बाद सीबीआई ने इन सभी के खिलाफ अदालत से गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने की मांग की थी। मदन तमांग की हत्या 2010 में हुई थी।
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HIGHLIGHTS
- प. बंगाल के अलीपुरद्वार में GJM कार्यकर्ताओं-पुलिस के बीच हिंसक झड़प
- झड़प में कई पुलिसकर्मी बुरी तरह घायल, 45 दिनों से चल रहा है आंदोलन
Source : News Nation Bureau