सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक स्वायत्त संस्था द्वारा नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम जैसे ओटीटी प्लेटफार्मो पर कंटेंट को विनियमित करने के लिए वकील शशांक शेखर झा द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया. मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिस्टिर जनरल के. एम. नटराज से कहा कि केवल यह कहना कि सरकार इसके लिए कदम उठाने पर विचार कर रही है, यह पर्याप्त नहीं है. मुख्य न्यायाधीश ने पूछा आप क्या कर रहे हैं, कानून बना रहे हैं या क्या कर रहे हैं? आप क्या करना चाहते हैं, इसके लिए एक हलफनामा दायर करें?
केंद्र के वकील ने कहा कि यह मुद्दा अभी विचाराधीन है और अभी तक कोई भी किसी भी कदम को अंतिम रूप नहीं दिया गया है. मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया कि अदालत केवल आपके विचार-विमर्श को स्वीकार नहीं कर सकती. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, नोटिस जारी किया गया है और मामले को लंबित मामले के साथ टैग करें. पिछले साल अक्टूबर में, शीर्ष अदालत ने विभिन्न ओटीटी/स्ट्रीमिंग और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों पर कंटेंट की निगरानी और प्रबंधन के लिए एक उचित संस्थान की स्थापना के लिए जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था.
पीआईएल में कहा गया था कि नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, जी5 और हॉटस्टार सहित ओटीटी/स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मो में से किसी ने भी फरवरी 2020 से सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए स्व-नियमन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएंगे नियम
मंत्रिमंडलीय सचिवालय द्वारा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर वाली मंगलवार रात जारी अधिसूचना के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 77 के उपलबंध (3) के तहत प्रदप्त अधिकारों के अधीन भारत सरकार के (कामकाज आवंटन) नियम 1961 में संशोधन का निर्णय लिया गया है. यह तुरत प्रभाव से प्रभाव में आ जाएगा. इस नियम को भारत सरकार (कामकाज का आवंटन) 357वां संशोधन नियम 2020 नाम से जाना जाएगा. ये नियम तुरंत प्रभाव से लागू हो जाएंगे.
जनहित याचिका पर मांगा था जवाब
इसके साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को आनलाइन प्लेटफार्म पर उपलब्ध होने वाले समाचार, श्रव्य, दृश्य सामग्री और फिल्म के नियमन का अधिकार प्राप्त हो गया है. उच्चतम न्यायालय ने एक स्वायत्तशासी संस्था द्वारा ओवर दि टाप (ओटीटी) प्लेटफार्म के नियमन को लेकर दायर जनहित याचिका पर केन्द्र सरकार से जवाब मांगा था. उसके एक माह के भीतर ही सरकार की ओर से यह निर्णय लिया गया है. सरकार के इस निर्णय के बाद यह कहा गया है कि सभी तरह के ओटीटी प्लेटफार्म नियमों और नियमन के तहत आ जायेगी.
Source : IANS