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चांद पर उतरने के लिए क्या है अभी मेन चुनौतियां, जानें लैंडिंग के बाद क्या है इसरो का प्लान?

आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि चंद्रयान के लिए अब कौन से मुख्य चुनौतियाँ हैं, जो इस मिशन के दौरान सामना किया जा सकता है.

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Ravi Prashant
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इस मिशन के लिए प्रमुख चुनौतियाँ( Photo Credit : pixabay.com)

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23 अगस्त 2023 को दुनिया की नजरें भारत पर होंगी. दुनिया देखेगी कि भारत कैसे इतिहास रचने जा रहा है. चंद्रयान-3 अब चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए तैयार है. अब सिर्फ चार दिन बचे हैं, जब चंद्रयान 3 चंद्रमा की धरती पर अपना कदम रखेगा. इस कदम से भारत दुनिया के उन देशों में शामिल हो जाएगा, जो अब तक चांद पर कदम रख चुके हैं. आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि चंद्रयान के लिए अब कौन से मुख्य चुनौतियाँ हैं, जो इस मिशन के दौरान सामना किया जा सकता है और साथ ही जानेंगे कि ये मिशन भारत के लिए क्यों अहम है.

इस मिशन के लिए प्रमुख चुनौतियाँ

  • चंद्रयान की लैंडिंग के लिए सही समय और स्पीड का होना जरूरी है.
  • चांद के क्रेटर और रेजोलिथ
  • इनपुट में देरी से लैंडिंग भी मुश्किल हो जाती है
  • गुरुत्वाकर्षण भी एक चुनौती होगी.
  • लैंडर के गिरने की गति और कंपन को नियंत्रित करना चुनौती होगी.

ये मिशन क्यों जरुरी है?
इसके बाद चंद्रयान अपना मिशन शुरू करेगा और चंद्रयान वो काम करेगा जो अब तक अमेरिका, रूस और चीन ने किया है. इन देशों में चौथे नंबर पर भारत भी चांद पर अपनी परचम लहराएगा. चंद्रयान चंद्रमा के वातावरण की जांच करेगा, वहां की मिट्टी के बारे में पता लगाएगा और चंद्रयान अंतरिक्ष के अंधेरे में डूबे चंद्रमा की सतह की जांच करेगा. अब सवाल यह है कि चंद्रयान 3 मिशन भारत के लिए क्यों जरूरी है? आखिर इस मिशन के पीछे की वजह क्या है? 

मून इकोनॉमी क्या है?
इसके लिए आपको 'मून इकोनॉमी' को समझना होगा. 'मून इकोनॉमी' यानी बिजनेस की बात. आज अमेरिका, रूस और चीन चांद पर बसने की योजना बना रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि कुछ समय बाद यहां इंसानी आबादी बसाई जा सकती है. यहां तक ​​कि युद्ध जैसी स्थितियों से निपटने के लिए चांद की जमीन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके लिए बेस बनाये जा सकते हैं. वही छुट्टियाँ बिताने के लिए भी यह एक बड़ा पर्यटन स्थल के रूप मे देखा जा सकता है. स्पेस एक्स जैसी कंपनियां चंद्रमा पर ट्रांसपोर्टेशन को एक बड़े व्यवसाय के रूप में देख रही हैं. प्राइस वॉटरहाउस कूपर के अनुमान के मुताबिक, 2040 तक चांद पर ट्रांसपोर्टे का कारोबार 42 बिलिय डॉलर तक हो सकता है.

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भारत कैसे बिजनेस करेगा?
ऐसे में भारत का भी 'मून इकोनॉमी' पर नजर है. भारत भी अपने मिशन के जरिए चांद से जुड़ी अहम जानकारी इकठ्ठा करेगा. आप समझ सकते हैं कि हर देश चांद पर आसानी से पहुंच नहीं सकता है, ऐसे में इन देशों को भारत चांद जुड़ी डाटा को बेचकर कई करोड़ो डॉलर में खरीदी जा सकती है. एक अनुमान के मुताबिक, साल 2040 तक चंद्रमा पर 1000 अंतरिक्ष यात्री रह रहेंगे. उनके जाने से पहले चांद की सतह के बारे में जानकारी जुटानी होगी, ताकि वहां रहने के लिए बेस बनाने की तैयारी की जा सके. चंद्रयान 3 के जरिए भारत चांद से जुड़ी अहम जानकारियां जमा करेगा और उसे बेचकर करोड़ों डॉलर कमाएगा. वह चंद्रमा की सतह पर संचार का एक नेटवर्क तैयार करेगा. इसके साथ ही अंतरिक्ष यात्रियों के लिए उपकरण ले जाने के लिए एक बेस स्टेशन भी बनाया जाएगा.

Source : News Nation Bureau

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