ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पुनिया ने शुक्रवार को विरोध स्वरूप अपना पद्म पुरस्कार लौटाने की घोषणा की. हालांकि, ऐसा नहीं है कि बजरंग पुनिया अवॉर्ड लौटाने वाले पहले शख्स हैं. इस लिस्ट में कई नामें शामिल हैं, जो अपना अवॉर्ड लौटाने का ऐलान कर चुके हैं. लेकिन क्या आपने सोचा है कि क्या केंद्र सरकार पुरस्कार लौटाने के बाद उसे वापस भी ले लेती है? आपको बता दें कि सरकार पुरस्कार वापस नहीं लेती है और न ही पुरस्कार वापस लेने का कोई नियम है.
TaoI की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने कहा कि पुरस्कार विजेता किसी भी कारण से पुरस्कार वापस करने के अपने फैसले की घोषणा कर सकता है. लेकिन पद्म पुरस्कार को लेकर कोई नियम नहीं है. पुरस्कारों को रद्द करने की अनुमति केवल राष्ट्रपति द्वारा ही दी जा सकती है.
कैसे दिए जाते हैं अवार्ड?
अधिकारी के अनुसार, पुरस्कार रद्द होने तक पुरस्कार विजेता का नाम राष्ट्रपति के निर्देशों के तहत बनाए गए पद्म पुरस्कार विजेताओं के रजिस्टर में रहता है. पद्म पुरस्कार रद्द होने का अब तक कोई इतिहास नहीं है. साल 2018 में तत्कालीन गृह मंत्री ने राज्यसभा में बताया था कि पुरस्कार देश की जांच एजेंसियों द्वारा व्यक्तियों के चरित्र के सत्यापन के बाद ही दिए जाते हैं.
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अवार्ड लौटाने के बाद नहीं होती है वापसी?
नियमों के मुताबिक, पद्म पुरस्कारों से सम्मानित होने के लिए प्रस्तावित व्यक्तियों की इच्छा का पता लगाने के बाद ही पुरस्कारों की घोषणा की जाती है. ऐसा भी देखा गया है कि कई लोगों ने पुरस्कार लेने से इनकार भी कर दिया है. इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि जब किसी व्यक्ति को पद्म विभूषण या पद्मश्री पुरस्कार दिया जाता है तो उसका नाम भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया जाता है.
इन सभी लोगों के नाम का एक रजिस्टर होता है. अधिकारी ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति स्वेच्छा से पुरस्कार लौटाने की घोषणा भी कर दे तो भी उसका नाम राजपत्र या रजिस्टर में दर्ज रहता है और हटाया नहीं जाता. यानी अगर बजरंग पूनिया अवार्ड वापस लौटाने का घोषणा कर चुके हैं तो इससे उनका नाम राजपत्र में रहेगा. उनके नाम को नहीं हटाया जा सकता है.
Source : News Nation Bureau