लोकसभा का अध्यक्ष चुने जाने के बाद ओम बिरला ने कहा कि ये सदन 1975 में देश में आपातकाल(इमरजेंसी) लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है. इसके साथ ही हम, उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं, जिन्होंने इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि 1975 में आज के ही दिन तब की कैबिनेट ने इमरजेंसी का पोस्ट-फैक्टो रेटिफिकेशन किया था, इस तानाशाही और असंवैधानिक निर्णय पर मुहर लगाई थी. इसलिए अपनी संसदीय प्रणाली और अनगिनत बलिदानों के बाद मिली इस दूसरी आजादी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए, आज ये प्रस्ताव पास किया जाना आवश्यक है. हम ये भी मानते हैं कि हमारी युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के इस काले अध्याय के बारे में जरूर जानना चाहिए.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "इमरजेंसी ने भारत के कितने ही नागरिकों का जीवन तबाह कर दिया था, कितने ही लोगों की मृत्यु हो गई थी। इमरजेंसी के उस काले कालखंड में, कांग्रेस की तानाशाह सरकार के हाथों अपनी जान गंवाने वाले भारत के ऐसे कर्तव्यनिष्ठ और देश से प्रेम करने वाले नागरिकों… pic.twitter.com/8IBrZfiMv0
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 26, 2024
वहीं, इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर भाजपा सांसद कंगना रनौत ने कहा कि जो सबसे ज्यादा संविधान की दुहाइयां देते हैं उनको इस बात की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. वो अपनी दादी और पिताजी ने नाम पर वोट बटोरते हैं तो क्या वे उनके किए कारनामों की भी जिम्मेदारी लेते हैं? आज जो संविधान की सबसे ज्यादा दुहाइयां देते हैं वे खुद का भी ट्रैक रिकॉर्ड देखें.
#WATCH | Delhi: On NDA protest on the 50th anniversary of the Emergency, BJP MP Kangana Ranaut says, "Those who speak for the Constitution the most should also take the responsibility. They are gathering votes in the name of their father and grandmother, so will they take… pic.twitter.com/fly6bcp1oq
— ANI (@ANI) June 26, 2024
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि इमरजेंसी एक ऐसा दौर था जिसे इतिहास में एक कालेखंड के तौर पर देखा गया. जिस तरह से इमरजेंसी के दौर में पूरे देश को बंधी बनाने का प्रयास किया गया, देश पर तानाशाही थोपने का प्रयास किया गया. वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को इससे सीख लेने की जरूरत है.
#WATCH | Delhi: On NDA protest on the 50th anniversary of the Emergency, Union Minister Chirag Paswan says, "The Emergency is a black spot in the history of India. The whole country was turned into a prison and dictatorship was imposed... The current and the coming generations… pic.twitter.com/iiLr8RkLro
— ANI (@ANI) June 26, 2024
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि 26 जून एक ऐसा दिन है जब इंदिरा गांधी जी के द्वारा लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाकर लोकतंत्र की हत्या कर दी गई थी और देश में इमरजेंसी लागू की गई थी. लोगों के अधिकारों को छीन लिया गया था...लेकिन देश के युवाओं, किसान, महिलाओं ने एक ऐसा सशक्त आंदोलन खड़ा किया और आजादी की दूसरी लड़ाई लड़कर फिर अपने संविधान के विचार के अनुरूप भारत में लोकतंत्र की स्थापना कर लोगों को आजादी दी और उनको अवसर दिया.
#WATCH दिल्ली: केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, "26 जून एक ऐसा दिन है जब इंदिरा गांधी जी के द्वारा लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाकर लोकतंत्र की हत्या कर दी गई थी और देश में इमरजेंसी लागू की गई थी। लोगों के अधिकारों को छीन लिया गया था...लेकिन देश के युवाओं, किसान,… pic.twitter.com/D66LCrSomW
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केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन (ललन) सिंह ने कहा कि इमरजेंसी तो 26 जून 1975 में ही लगी थी और हम सब इमरजेंसी में जेल में थे और आज जो कांग्रेस के लोग संविधान के खतरे की बात कर रहे हैं, संविधान तो 1975 में खतरे में हुआ था. जब देश में आपातकाल लागू किया गया था तो सारे मौलिक अधिकार जब्त हो गए. संविधान बदलने वाले और संविधान को खतरे में डालने वाले लोग आज संविधान की बात कर रहे हैं.
#WATCH दिल्ली: केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन (ललन) सिंह ने कहा, "इमरजेंसी तो 26 जून 1975 में ही लगी थी और हम सब इमरजेंसी में जेल में थे और आज जो कांग्रेस के लोग संविधान के खतरे की बात कर रहे हैं, संविधान तो 1975 में खतरे में हुआ था...जब देश में आपातकाल लागू किया गया था तो सारे मौलिक… pic.twitter.com/NPzUyqHgz2
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Source : News Nation Bureau