दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई. शीर्ष कोर्ट ने साफ शब्दों में पूछा कि आपने प्रदूषण रोकने के लिए अभी तक क्या कदम उठाए हैं. हर साल प्रदूषण से परेशानी होती है. पिछले छह साल से आप समस्याएं बताते आ रहे हैं. जबकि हमें समाधान चाहिए. हमें लोगों के स्वास्थ्य की चिंता है. हम किसी को ऐसे ही नहीं छोड़ सकते हैं. कोर्ट ने कहा, हर साल कोर्ट के दखल के बाद ही सरकारें कुछ करती हैं. दिल्ली-एनसीआर में बारिश होने पर शीर्ष कोर्ट ने कहा कि शायद भगवान ने लोगों की प्रार्थना सुन ली बारिश हो गई. इसके लिए सरकार को थैंक्यू नहीं कहा जा सकता है. पंजाब में पराली जलाए जाने की दलील पर कोर्ट ने कहा कि धान की फसल होने से पंजाब का भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है. हम एक और रेगिस्तान नहीं देखना चाहते. वहां पर धान की जगह किसी और फसल को उगाने के बारे विचार करना चाहिए. जिसमें पानी की खपत कम हो सकें.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ऑर्ड ईवन लागू करने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप अपना फैसला हमारे ऊपर क्यों थोपना चाहते हैं. हमने आपसे पूछा था कि दूसरे राज्यों से टैक्सी दिल्ली आने पर क्या कुछ समय के लिए रोक लग सकती है? इसके लिए हमारे आदेश की क्या जरूरत है.
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सरकारें कुछ नहीं करती दिख रही
प्रदूषण पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदूषण की मुख्य वजह पराली जलाना और निर्माण कार्य हैं. गाड़ियों का प्रदूषण सिर्फ 17% है. आपकी ऑड ईवन योजना लागू होने से इसमें मामूली असर दिखेगा. आप यह करना चाहते हैं, कीजिए. ताकि कल को यह न कहें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते प्रदूषण नहीं घट रहा.आज लोग भगवान भरोसे हैं. कभी हवा बहने लगती है तो कभी बारिश मदद करती है, लेकिन सरकार कुछ नहीं करती दिख रही है.
बता दें कि पड़ोसी राज्य पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और राजस्थान में पराली जलाए जाने की वजह से राजधानी दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर दाखिल याचिकाओं पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.
Source : News Nation Bureau