क्या है एरिया-51, क्या सचमुच अमेरिका यहां करता है एलियन्स पर रिसर्च

कुछ कहते हैं, अमेरिका कोई बड़ा सीक्रेट रिसर्च करता है यहां. ये बेहद टॉप सीक्रेट एरिया है. अमेरिका किसी को यहां पांव तक नहीं रखने देता.

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yogesh bhadauriya
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क्या है एरिया-51, क्या सचमुच अमेरिका यहां करता है एलियन्स पर रिसर्च

प्रतीकात्मक तस्वीर( Photo Credit : News State)

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‘एरिया 51’ अमेरिका में एक जगह है जो मिस्ट्री से भरी हुई है. इस जगह को लेकर कुछ कहते हैं, यहां एलियन्स रहते हैं. कुछ कहते हैं, अमेरिका कोई बड़ा सीक्रेट रिसर्च करता है यहां. ये बेहद टॉप सीक्रेट एरिया है. अमेरिका किसी को यहां पांव तक नहीं रखने देता. एरिया-51 अमेरिका के नेवाड स्टेट के दक्षिणी हिस्से में है, नेवाडा टेस्ट ऐंड ट्रेनिंग रेंज. ये अमेरिकी एयरफोर्स का ओपन ट्रेनिंग रेंज है. इसी जगह को कहते हैं एरिया 51. इसका ये नाम कैसे पड़ा, ये नहीं पता.

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रहस्य कैसे बनना शुरू हुआ?

1947 वाले साल कुछ ख़बरें चली. कि न्यू मैक्सिको के रॉसवेल में UFO क्रैश हुआ है. UFO का फुल फॉर्म होता है अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑबजेक्ट. UFO को लोग अक्सर एलियन्स के साथ जोड़ते हैं. लेकिन कोई भी ऐसी उड़ने वाली चीज, जिसकी ठीक-ठीक पहचान न हो सके, उसके लिए ये टर्म इस्तेमाल होता है. जब और भी UFO देखे जाने के दावे आए, तो एयर फोर्स ने इन दावों की जांच शुरू की. इसे नाम दिया- प्रॉजेक्ट ब्लू बुक. बाद के सालों में भी UFO देखे जाने की बातें आती रहीं. 1969 में अमेरिकी एयर फोर्स ने ‘प्रॉजेक्ट ब्लू बुक’ खत्म कर दिया. इस समय तक वो UFO देखे जाने के 12 हज़ार से ज्यादा दावों की जांच कर चुका था. ‘प्रॉजेक्ट ब्लू बुक’ तो खत्म हुआ, मगर दक्षिणी नेवाडा में एरिया-51 के आस-पास UFO देखे जाने के दावे आते रहे. चूंकि इस प्रतिबंधित इलाके में आम लोग नहीं जा सकते. और ये 24 घंटे, 365 दिन भारी सुरक्षा में रहती थी. सो इस जगह के बारे में कहानियां चल पड़ीं.

कैसी कहानियां चलती हैं?

– सबसे मज़बूत दावा तो है एलियन्स का. अफ़वाहें कहती हैं कि एक बार दूसरे ग्रह से आए लोगों का एक स्पेसक्राफ्ट क्रैश हो गया. उसके टुकड़े यहीं एरिया-51 में रखे हुए हैं. वैज्ञानिक यहां उस स्पेसक्राफ्ट पर रिसर्च करते हैं. रिवर्स-इंजिनियरिंग करके एलियन्स की टेक्नॉलजी समझने की कोशिश करते हैं.

– कुछ कहते हैं कि एलियन्स का जो स्पेसक्राफ्ट क्रैश हुआ, उसके साथ एक एलियन भी मिला. वो भी यहीं पर रखा गया है.

– 80 के दशक में रॉबर्ट बॉब लाज़र नाम का एक आदमी सामने आया. उसने कहा, वो ‘एरिया 51’ में काम करता था. रॉबर्ट का दावा था कि उसका काम परग्रहियों से जुड़ी तकनीक से जुड़ा था. उसने मीडिया को कुछ तस्वीरें भी दिखाईं. उसके मुताबिक, ये एरिया-51 में रखे गए एलियन की ऑटोप्सी की फोटो हैं. बाद में ‘एरिया 51’ में काम करने का उसका दावा झूठा निकला.

– दूसरी बड़ी अफवाह है टाइम ट्रैवल. इसको मानने वाले कहते हैं कि अमेरिका यहां समय में आगे और पीछे जाने की रिसर्च कर रहा है.

– कुछ कहते हैं कि नील आर्मस्ट्रॉन्ग कभी चांद पर उतरे ही नहीं. कि यहीं एरिया-51 में फोटो खींचकर अमेरिका ने कहा कि उसका अपोलो 11 मिशन चांद पर उतर गया.

हद तो तब हो गई जब सोशल मीडिया पर एक बार इसके राज को उजागर करने को लेकर कैंपन चला, चलो एरिया-51 . इसकी टैगलाइन है- Storm Area 51, They Can’t Stop All of Us.

जब सोशल मीडिया पर चला कैंपेन

एक बार सोशल मीडिया पर करीब 15 लाख लोगों ने एक साथ मिलकर एरिया 51 में घुस जाने का प्लान बनाया था. प्लान के मुताबिक तड़के सुबह 3 बजे सभी एरिया 51 के अंदर घुस जाएंगे. मीम की तरह शुरू हुए इस कैंपेन को 15 लाख से ऊपर लोगों ने जॉइन कर लिया. इसका इतना माहौल बना कि अमेरिकी एयर फोर्स को चेतावनी जारी करनी पड़ी. US Air Force ने कहा कि यहां घुसने की कोशिश करना खतरनाक साबित होगा.

कैसे शुरू हुआ ये फेसबुक कैंपेन?

कैलिफोर्निया में एक आदमी है- मैटी रॉबर्ट्स. मैटी का कहना है, ‘Storm Area 51’ उनका शुरू किया हुआ है. मैटी ने कुछ इंटरव्यू दिए हैं. उनका कहना है कि ये कैंपेन शुरू करने की वजह से उन्हें अब FBI का डर लग रहा है. मैटी का कहना है कि उन्हें नहीं पता था कि उनका मीम इतना फैल जाएगा.

सामने आया U-2

U-2 प्रोजेक्ट अमेरिका का बहुत बड़ा सीक्रेट था. उसकी जानकारी लीक होना वह अफॉर्ड नहीं कर सकता था वो. शायद इसीलिए एरिया 51 इतनी टॉप सीक्रेट जगह रखी गई. इसीलिए उसे लोगों की पहुंच से बिल्कुल दूर रखा गया. इसी वजह से एरिया-51 को लेकर इतना रहस्य बना. फिर ‘इंडिपेंडेंस डे’ जैसी फिल्मों में रेफरेंस की वजह से अफ़वाहें और फैलीं. इस फिल्म में एरिया-51 को ऐसी जगह के तौर पर दिखाया गया था, जहां ऐलियन्स पर टेस्ट की प्रयोगशाला दिखाई गई. UFO देखे जाने की अफ़वाहें. जो कि शायद असल में U-2 हुआ करते थे.

क्या था ये U-2

कोल्ड वॉर के समय सोवियत और अमेरिका, दोनों एक-दूसरे की खूब जासूसी करते थे. ताकि दूसरा क्या कर रहा है, क्या करने की तैयारी कर रहा है, ये पहले पता लग जाए. अमेरिकी एयरफोर्स और नेवी, दोनों के भेजे टोही विमानों में बड़ा नुकसान हो रहा था. बहुत जानें जा रही थीं. ये पकड़े जाते, तो सोवियत के साथ तनाव भी बढ़ता था. फिर ये भी दिक्कत थी कि सोवियत बहुत बड़ा था. उसके कई अहम इलाकों में पहुंचना बहुत मुश्किल हो जाता. ऐसे में US वायुसेना ने काफी ऊंचाई पर उड़ने वाले टोही विमान बनाना शुरू किया. जो कि बिना दिखे, बिना पकड़ाए, दुश्मन देश में खूब अंदर जाकर टोह लेकर आ सके. इसी का नतीजा था U-2.

आज भी अमेरिका इस जगह पर सेना और सुरक्षा से जुड़े प्रयोग करता है. लेकिन वो क्या हैं ये किसी से साझा नहीं करता और इसी वजह से ये जगह आज भी हाई-सिक्यॉरिटी में रहती है.

Source : News State

America Alien AREA 51
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