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मोहन भागवत वाणी के क्या हैं मायने? जानें यहां 

जो हाथ उठाए उसका हाथ नहीं रहे इतना सामर्थ्य होना चाहिए, लेकिन सामर्थ्य का उपयोग क्या करना चाहिए, दुर्बलों की रक्षा के लिए. विजयदशमी के मौके पर हिन्दुओं को सबल होने का संदेश दिया गया.

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Deepak Pandey
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मोहन भागवत वाणी के क्या हैं मायने?( Photo Credit : फाइल फोटो)

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जो हाथ उठाए उसका हाथ नहीं रहे इतना सामर्थ्य होना चाहिए, लेकिन सामर्थ्य का उपयोग क्या करना चाहिए, दुर्बलों की रक्षा के लिए. विजयदशमी के मौके पर हिन्दुओं को सबल होने का संदेश दिया गया. नागपुर में संघ के मुख्यालय में ध्वजा रोहण, शस्त्र पूजन और फिर संघ प्रमुख का संबोधन हुआ. वैसे संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने देश हित के कई मुद्दों का जिक्र किया, लेकिन उनका जो बयान सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा वो मुस्लिम आबादी से जुड़ा था. संघ प्रमुख ने नई जनसंख्या नीति पर जोर दिया. 

संघ प्रमुख का मानना है कि बॉर्डर इलाके में जनसंख्या असंतुलन और घुसपैठ की वजह से बॉर्डर इलाके में हालात बदल गए हैं. आकंड़े पेश करते हुए संघ प्रमुख ने दावा किया कि 1951 से 2011 के बीच इंडियन ऑरीजिन रिलीजन के मानने वाले यानी हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन समुदायों की संख्या 88% से घटकर 83.8% रह गई. वहीं, मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 9.8% से बढ़कर 14.24% हो गया. जनसंख्या के असंतुलन पर चिंता जताते हुए मोहन भागवत ने जनसंख्या नीति को जरूरी बताया. 

संघ प्रमुख ने मुसलमानों की आबादी का तो जिक्र किया लेकिन ये साफ किया कि उनका संगठन मुस्लिम विरोधी नहीं है. आरएसएस के लिए विजयदशमी बेहद अहम है. इसी दिन 1925 में इस संगठन का गठन हुआ था. विजयदशमी पर संघ प्रमुख के भाषण पर हर किसी की निगाहें टिकी रहती हैं. इस बार फिर उनके भाषण की चर्चा पूरे देश में हो रही है. भागवत का संबोधन देश-विदेश की बड़ी घटनाओं के ईर्द गिर्द रहा. इसमें दो राय नहीं है कि इस साल की सबसे बड़ी अंतर्राष्ट्रीय घटना अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे की है.

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां से लगातार खौफनाक तस्वीरें सामने आ रही हैं. तालिबानी रावण अफगानिस्तान को बर्बाद कर रहा है. लगातार बम विस्फोट हो रहे हैं. माइनॉरिटीज को निशाना बनाया जा रहा है. कंधार के शिया समुदाय के मस्जिद में धमाका हुआ है. अफगानिस्तान के हालात हिन्दुस्तान के लिए भी काफी मायने रखते हैं. विजयदशमी के मौके पर तालिबान रूपी रावण को लेकर संघ प्रमुख का अहम बयान आया.

संघ प्रमुख ने साफ किया कि तालिबान के चरित्र को देखते हुए उससे सावधान रहने की जरूरत है. अफगानिस्तान में तालिबानी राज का असर भी देखने को मिल रहा है. जम्मू कश्मीर में फिर से आतंकी सिर उठाने लगे हैं. आम नागरिकों को टारगेट किया जा रहा है. मोहन भागवत ने घाटी में हिन्दुओं की टारगेट किलिंग पर अफसोस जताया और आतंक की नई नीति के खिलाफ सख्त कदम की वकालत की.

पिछले कुछ महीनों में हिन्दुस्तान की सुरक्षा चुनौतियों में इजाफा हुआ है. भारत के लिए खतरा पैदा करने वाली वहीं शक्तियां हैं जो तालिबान के साथ खड़ी है. LAC पर जिनपिंग की सेना के आक्रामक तेवर बरकरार है. बातचीत के बावजूद विवाद सुलझ नहीं रहा. LoC पर पाकिस्तान की तरफ से लगातार साजिशों का जाल बिछाया जा रहा है. नागपुर में अपने संबोधन में संघ प्रमुख ने देश की सुरक्षा चुनौतियों का भी जिक्र किया और चीन-पाकिस्तान पर प्रहार किया. सरहद पर चुनौतियां हैं, देश के अंदर भी कुछ तत्व भारत विरोधी काम कर रहे हैं. बहुसंख्यक समुदाय के अंदर दीवार खड़ा करने की कोशिश हो रही है.

धर्मांतरण और विदेशी साजिश से भी संघ प्रमुख ने सचेत रहने की नसीहत दी. मोहन भागवत के सवाल ओटीटी प्लेटफॉर्म की निरंकुशता को लेकर भी थे. मोहन भागवत ने कहा कि OTT प्लेटफॉर्म पर कोई नियंत्रण नहीं है. नियंत्रण विहीन व्यवस्था से अराजकता का संकट होता है, इन सब पर मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है. देश के ज्वलंत मुद्दों पर संघ प्रमुख के बयानों के काफी मायने हैं, वक्त वक्त पर उनके भाषणों का विश्लेषण होता रहा है.

विजयदशमी के संबोधन के पहले संघ प्रमुख ने एक और अहम बयान दिया था. मोहन भागवत ने नई बहस छेड़ी थी कि जो हिंदू सिर्फ शादी के लिए धर्मांतरण करते हैं, वे ऐसा करके गलत कर रहे हैं. उनका इशारा हिंदू लड़के-लड़कियों दोनों के लिए था, लेकिन आम तौर पर यही माना जाता है कि संघ और बीजेपी सरकारों की सोच ये है कि मुस्लिम युवक हिंदू लड़कियों से शादी के बाद उनका धर्मांतरण कराते हैं ,यानी इस्लाम कबूलने पर मजबूर कर दिया जाता है. 

भागवत का बयान ऐसे वक्त आया है जब बीजेपी शासित राज्यों में अंतरधार्मिक शादियों को टारगेट करने के लिए कानून लाए जा चुके हैं. हालांकि, ये कानून जबरन या किसी प्रलोभन के एवज में किए जाने वाले धर्मांतरण के खिलाफ बनाए गए हैं, लेकिन कानून के विरोधियों का मानना है कि इसका मकसद अंतर धार्मिक विवाह पर रोक लगाना है.

इससे पहले संघ प्रमुख के 4 जुलाई को मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दिए गए बयान की खूब चर्चा हुई थी. संघ प्रमुख का कहना था कि हिंदू-मुस्लिम एकता की बातें भ्रामक हैं, क्योंकि यह दोनों अलग नहीं बल्कि एक हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि सभी भारतीयों का DNA एक है, चाहें वो किसी भी धर्म के क्यों न हों. कुछ जानकार संघ प्रमुख के बयानों को सरकार की नीतियों का आइना मानते हैं.

पिछले कुछ महीनों संघ प्रमुख ने जो भाषण दिया है क्या उसकी झलक आने वाले दिनों में सरकार के फैसलों में दिखेगी? क्या केन्द्र की तरफ से नई पॉपुलेशन पॉलिसी की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे? वैसे गौर करने की बात यह है कि वर्ल्ड पॉपुलेशन डे पर यूपी में नई जनसंख्या नीति की घोषणा की गई थी. योगी कैबिनेट नई नीति को मंजूरी दे चुकी है. इस नई नीति के जरिए यूपी में साल 2026 तक से सकल प्रजनन दर को 2.1 और वर्ष 2030 तक इसे 1.9 पर लाए जाने का टारगेट रखा गया है.

Source : Satya Narayan

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