दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल करके कोरोना वायरस के चार मरीजों का इलाज चल रहा है. फिलहाल दो मरीजों की स्थिति में सुधार है. जिसके बाद अब दिल्ली में बाकी कोरोना के मरीजों में प्लाज्मा थेरेपी होने की संभावना है. डॉक्टर स्वाति महेश्वरी ने बताया कि आखिर इस प्लाज्मा थेरेपी से कैसे कोरोना को हराया जा सकता है और आखिर यह है क्या. प्लाज्मा थेरेपी करने के लिए सबसे पहले केंद्र सरकार से मंजूरी चाहिए होगी.
यह भी पढ़ें- अमेरिका में लाशों का अंबार, अब तक 50,000 लोगों की हुई कोरोना से मौत
वहीं प्लाज्मा थेरेपी करने के लिए उन लोगों का प्लाज्मा चाहिए होगा जो कोरोना को हरा चुके हैं. डॉ स्वाति महेश्वरी ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल 100 साल पहले स्पैनिश फ्लू में भी किया गया था. इबोला जैसी बीमारियों में भी प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया गया था.
यह भी पढ़ें- कोरोना के इलाज में सबसे बड़ी सफलता, दिल्ली के 4 मरीजों को आखिरी स्टेज से बचाया गया
इस थेरेपी में कोरोना बीमारी से ठीक हो चुके व्यक्ति के शरीर से खून के जरिए एंटीबॉडीज निकाली जाती हैं. यह एक पतला सा पीला तरल होता है जिसे प्लाज्मा कहा जाता है. इसके बाद उन मरीजों को यह दिया जाता है जो रोग से गंभीर रूप से बीमार हैं. ऐसा देखा गया है कि जब बाहर से रोगी के शरीर में एंटीबॉडीज डाली जाती हैं तो उसके अच्छे परिणाम मिलते हैं.
प्लाज्मा देनें से न डरें लोग
इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर साइंस के डायरेक्टर एसके सरीन ने एक मीडिया संस्थान को दिए अपने साक्षात्कार में बताया कि लोग प्लाज्मा देने से डर रहे हैं. तो इसमें डरने की जरूरत नहीं है. यह वक्त देशभक्ति दिखाने का है. जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं वो बिना डरे आगे आएं और प्लाज्मा डोनेट करें. प्लाज्मा ब्लड डोनेशन की तरह नहीं है. जिसमें आपको तीन महीने का इंतजार करना होगा. आप चाहें तो 10 दिन बाद फिर से प्लाज्मा दे सकते हैं. इस थेरेपी में सिर्फ प्लाज्मा लिया जाएगा और कुछ नहीं.