What is surrogacy : कई सेलिब्रेटी सरोगेसी की मदद से पैरेंट्स बन रहे हैं और भारत में इसका काफी चलन बढ़ गया है. हाल ही में ग्लोबल स्टार प्रियंका चोपड़ा जोनास और साउथ की फेमस एक्ट्रेस नयनतारा सरोगेसी के जरिये मां बनी हैं. प्रियंका चोपड़ा ने यहां तक बताया था कि उन्होंने मां बनने के लिए क्यों सरोगेसी की मदद ली और उन्हें इसके लिए कितना दर्द सहना पड़ा था. अब सवाल उठता है कि क्या सरोगेसी से पैरेंट्स बनना सही है या गलत... इसके अलावा क्या कोई और भी चिकित्सा विकल्प मौजूद है या नहीं?
जानें क्या है सरोगेसी
सरोगेसी एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें एक महिला किसी अन्य व्यक्ति की ओर से बच्चे को जन्म देने के लिए सहमत होती है. ऐसे तो आम बोलचाल की भाषा में सरोगेसी को किराए की कोख भी कहा जाता है. अगर कोई दंपति बच्चा पैदा करने को किसी महिला की कोख किराए पर लेते हैं तो वह सरोगेसी कहलाती है. सरोगेसी तब होती है जब कोई महिला शारीरिक रूप से बच्चा पैदा करने में असक्षम होती है.
अब सवाल उठता है कि क्या ऐसा कोई और चिकित्सा विकल्प मौजूद है, जो बिना सर्जिकल हस्तक्षेप के निसंतान दपंति को नेचुरल तरीके से माता-पिता बनने मदद कर सकें. इसे लेकर आशा आयुर्वेदा स्थित डॉक्टर चंचल शर्मा बताती है कि अधिकांश लोगों को निसंतानता की समस्या में सबसे पहले आईवीएफ ही दिमाग में आता है, लेकिन आईवीएफ में निषेचन के बाद भी महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है. उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर होने के नाते सलाह देती हूं कि आयुर्वेदिक इलाज पर भरोसा करें जो महंगे IVF इलाज से कई गुना बेहतर है. जैसे एलोपैथी में आईवीएफ, आईयूआई और लेप्रोस्कोपी एक रास्ता है वैसे ही आयुर्वेद में बिना सर्जरी के प्राकृतिक उपचार भी संभव है.
अगर महिलाएं निसंतानता, बार-बार हो रहे गर्भपात, ट्यूब ब्लॉकेज आदि समस्याओं से परेशान हैं तो मायूस न हों. आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति महिलाओं की सूनी कोख के लिए वरदान साबित हुआ है. तमाम इलाज के बावजूद गर्भधारण करने से वंचित महिलाओं के लिए यह विधि कारगर साबित हो रही है. इनमें ऐसी भी महिलाएं शामिल हैं, जो आईवीएफ विफलता के बाद इस विधि के जरिए मातृत्व का सुख प्राप्त कर रही हैं.
Source : News Nation Bureau