दिल्ली के निजामुद्दीन में धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन से 25 से अधिक लोगों में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने को लेकर हड़कंप मचा हुआ है. पूरे इलाके में लोगों की जांच की जा रही है. अब तक 25 लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है. लॉकडाउन के बाद भी इस तरह के आयोजन को लेकर सवाल उठ रहे हैं. जमात-ए-उलमाए हिन्द के मौलाना महमूद मदनी ने इसका बचाव करते हुए कहा था कि कार्यक्रम पहले से चल रहा था और इसी बीच लॉकडाउन हो गया. उम्मीद नहीं थी इस तरह लॉक डाउन हो जाएगा और सब कुछ बंद हो जाएगा.
ये भी पढ़ें: जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले करीब 300 विदेशी नागरिकों पर लग सकता है प्रतिबंध
कैसे और क्यों हुई तबलीगी, जमात और मरकज की शुरुआत
हरियाणा के नूंह से 1927 में शुरू हुआ, इस तबलीगी जमात की पहली मरकज 14 साल बाद हुई. 1941 में 25 हजार लोगों के साथ पहली मीटिंग आयोजित हुई और फिर यहीं से ये पूरी दुनिया में फैल गया. विश्व के अलग-अलग देशों में हर साल इसका वार्षिक कार्यक्रम आयोजित होता है. जिसे इज्तेमा कहते हैं.
जानकारी के मुताबिक, 'तबलीगी जमात' की शुरुआत मुसलमानों को अपने धर्म बनाए रखने और इस्लाम का प्रचार-प्रसार और जानकारी देने के लिए की गई थी. कहा जाता है कि मुगल काल में कई लोगों ने इस्लाम धर्म कबूल किया था लेकिन फिर वो सभी हिंदू परंपरा और रीति-रिवाज में लौट रहे थे, इसलिए इसकी स्थापना की गई थी.
ये भी बताया जाता है कि ब्रिटिश काल के दौरान भारत में आर्य समाज ने उन्हें दोबारा से हिंदू बनाने का शुद्धिकरण अभियान शुरू किया था, जिसके चलते मौलाना इलियास कांधलवी ने इस्लाम की शिक्षा देने का काम प्रारंभ किया.
तबलीगी जमात आंदोलन को 1927 में मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने भारत में हरियाणा के नूंह जिले के गांव से शुरू किया था. इस जमात के छह मुख्य उद्देश्य बताए जाते हैं. 'छ: उसूल' (कलिमा, सलात, इल्म, इक्राम-ए-मुस्लिम, इख्लास-ए-निय्यत, दावत-ओ-तबलीग) हैं. तबलीगी जमात का काम आज दुनियाभर के लगभग 213 देशों तक फैल चुका है.
आखिर क्या है तबलीगी, जमात और मरकज
तबलीगी, जमात और मरकज ये तीनों ही शब्दों का मतलब अलग-अलग होता है. तबलीगी का अर्थ होता है अल्लाह या खुदा के संदेशों का प्रचार-प्रसार करना. वहीं जमात का मतलब लोगों का समूह (Group)और जिस जगह पर लोग इकट्ठा होते है उसका मतलब होता है जमात. इसका मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित है, जिसका काम इस्लाम का प्रचार करना है. तबलीगी जमात के लोग पारंपरिक रूप से इस्लाम को मानते है और हर जगह इसे फैलाने का काम करते हैं.
कैसे करता है यह काम
- तबलीगी जमात के मरकज से ही अलग-अलग हिस्सों के लिए तमाम जमातें निकलती है. इनमें कम से कम तीन दिन, पांच दिन, दस दिन, 40 दिन और चार महीने तक की जमातें निकाली जाती हैं.
- एक जमात में आठ से दस लोग शामिल होते हैं. इनमें दो लोग सेवा के लिए होते हैं जो कि खाना बनाते हैं.
- जमात में शामिल लोग सुबह-शाम शहर में निकलते हैं और लोगों से नजदीकी मस्जिद में पहुंचने के लिए कहते हैं.
- सुबह 10 बजे ये हदीस पढ़ते हैं और नमाज पढ़ने और रोजा रखने पर इनका ज्यादा जोर होता है. इस तरह से ये अलग इलाकों में इस्लाम का प्रचार करते हैं और अपने धर्म के बारे में लोगों को बताते हैं.
Source : News Nation Bureau