Difference between CAA and NRC : केंद्र की मोदी सरकार ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) कानून को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इसके साथ ही यह कानून देशभर में लागू हो गया है. कई राज्यों में जहां CAA को लेकर खुशी का माहौल है और मोदी सरकार के इस कदम का स्वागत किया जा रहा है तो असम, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों में CAA का विरोध किया जा रहा है. दरअसल, CAA को लेकर कुछ लोगों में नागरिकता जाने का डर है, जबकि CAA नागरिकता देने का कानून है. इसके साथ ही लोगों को CAA और NRC में लोगों को बड़ा कन्फ्यूजन है. यहां तक कि इसको लेकर बहस भी शुरू हो गई है. ऐसे में हम आज आपको CAA और NRC के बीच का अंतर बिल्कुल सरल भाषा में बताने जा रहे हैं.
क्या है CAA
नागरिकता संशोधन कानू यानी सीएए को लेकर केंद्र सरकार ने 11 मार्च को अधिसूचना जारी कर दी है. इसके साथ ही CAA कानून देशभर में लागू हो गया है. CAA कानून भारतीय संसद से 2019 में पारित हो गया था. लेकिन पहले विरोध प्रदर्शन और फिर कोरोना संक्रमण के चलते CAA को लागू नहीं किया जा सका था. CAA का मकसद तीन देशों (बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान) में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार ऐसे लोगों को भारत की नागरिकता देना है, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए हों. CAA कानून में इन देशों से आए गैर मुस्लिम (हिंदू, सिख, जैन, पारसी और ईसाई) शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है.
क्या है NRC
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन यानी एनआरसी का संबंध भारत में अवैध रूप से रह रहे लोगों का डाटा तैयार करने से है. हालांकि पूर्वोत्तर के राज्य असम में एनआरसी पहले से ही लागू है, लेकिन अब इसको पूरे देश में लागू किया जाएगा. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इसको लेकर घोषणा भी कर चुके हैं. सरकार ने स्पष्ट किया है कि एनआरसी के माध्यम से केवल देश में अवैध रूप से घुसे घुसपैठियों की गिनती की जाएगी और उनको देश से बाहर निकालने का काम किया जाएगा.
CAA और NRC में अंतर
दरअसल, नागरिकता संशोधन कानून ( CAA ) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन ( CAA ) को लेकर लोगों में भारी कन्फ्यूजन है. ये दोनों अलग-अलग कानून लेकिन लोग इनमें अंतर नहीं पर पाते. यहां तक कि इस पर राजनीति भी खूब होती है. लेकिन दोनों कानूनों में अंतर साफ है. सीएए जहां नागरिकता देने का कानून है. वहीं, एनआरसी देश में अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान कर उनको वापस भेजने का कानून है. सीएए में 31 दिसंबर 2014 से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर मुलिस्म शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जानी है और एनआरसी के तहत भारत में अवैध रूप से रह रहे लोगों का डाटा तैयार किया जाना है.
Source : News Nation Bureau