बेंगलुरु का नाम भारत के शानदार शहरों में आता है. इस शहर की गगनचुंबी इमारतें और कई बड़े टावर देखकर ऐसा लगता है कि यह बेंगलुरु नहीं बल्कि अमेरिका और यूरोप है. इस शहर में विकास अन्य राज्यों की तुलना में तेज गति से हो रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस शहर में पानी का संकट छाया हुआ है. यहां लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है. पानी की इतनी कमी हो गई है कि सरकार ने लोगों को घर से काम करने की हिदायत दे दी है. इस शहर में पानी बर्बाद करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जा रहा है, लेकिन सवाल ये है कि इस शहर में पानी की कमी क्यों हो गई है?
आखिर पानी क्यों हुआ कम?
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के मुताबिक बेंगलुरु बहुत तेजी से बदल गया है. इस शहर में ग्रीन कवर तेजी से घट रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1973 में जल प्रसार क्षेत्र 2,334 हेक्टेयर हुआ करता था, जो अब 2023 में घटकर सिर्फ 696 हेक्टेयर रह गया है. बेंगलुरु में लगातार गिरते भूजल स्तर का यही मुख्य कारण है. कंक्रीट के जंगल लगातार बनते जा रहे हैं और पानी की जगह कम हो गई है. इस रिपोर्ट के अनुसार 98 प्रतिशत झीलों पर अतिक्रमण हो चुका है और बचे हुए जलस्रोत प्रदूषण का शिकार हो गये हैं.
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यहां कितने पानी की जरूरत है?
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2023 में यह 93.3 फीसदी तक पहुंच जाएगी.यह आंकड़ा ही दिखाता है कि बेंगलुरु किस तरह पानी की कमी से जूझ रहा है. इसका कारण यह भी है कि यहां जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है. दरअसल, कुछ सालों में यहां की आबादी 45 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई है और 80 लाख की आबादी वाला बेंगलुरु अब 1.5 करोड़ की आबादी का बोझ उठा रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु की कुल आबादी करीब 1.40 करोड़ है और यहां रोजाना पानी की खपत 260 करोड़ से 280 करोड़ लीटर प्रति लीटर से भी कम है. वर्तमान में केवल 100 से 120 करोड़ लीटर पानी की आपूर्ति की जा रही है और यह आवश्यकता से 150 किमी कम है.
Source : News Nation Bureau