Court Marriage: भारत में कोर्ट मैरिज का आयोजन एक तंत्रबद्ध प्रक्रिया है. इसमें विवाहिता होने की मंजूरी के लिए न्यायिक स्थान का सही चयन करना अहम है. कोर्ट मैरिज का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इसकी वजह है कि अब लोग इसके बारे में ज्यादा अवेयर हो रहे हैं. युवा वर्ग इस मैरिज को ज्यादा तत्थयात्मक मान रहा है. आज हम जानेंगे कि इस प्रक्रिया में सही तरीका और समय का महत्व क्या है.
1. चयन करें सही न्यायिक स्थान
विवाह की अनुमति के लिए सही न्यायिक स्थान का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, और जिला न्यायालय में विवादों के आधार पर न्यायिक स्थान का चयन करें.
2. विवाह प्रस्तावना दें
विवाह प्रस्तावना देना आवश्यक है, जिसमें आपका नाम, पति या पत्नी का नाम, और विवाह की इच्छा शामिल होनी चाहिए.
3. आवेदन प्रस्तुत करें
न्यायिक स्थान के अनुसार आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन प्रस्तुत करें. इसमें प्रमुख है पहचान प्रमाणपत्र, पति-पत्नी का विवरण और विवाह की इच्छा साबित करने वाले कागजात हो सकते हैं.
4. नियमित न्यायिक सुनवाई
आवेदन प्रस्तुत होने के बाद नियमित न्यायिक सुनवाई होती है, जिसमें पति और पत्नी को समझाया जाता है कि उनका विवाह साहित्यिक और कानूनी दृष्टिकोण से सही है या नहीं.
5. निर्णय और पंजीकरण
यदि न्यायिक स्थान को विवाहीत होने के लिए तत्परता मिलती है, तो उनका निर्णय दिया जाता है और विवाह पंजीकृत किया जाता है. भारत में कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया संवेदनशीलता और सुरक्षा के साथ होती है और यह सुनिश्चित करती है कि विवाह लगभग किसी भी स्थिति में स्थायी और समझदारी से हो.
Source : News Nation Bureau