प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अक्टूबर को देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित छठे इंडियन मोबाइल कांग्रेस में के दौरान 5G सर्विस की शुरुआत की. इसके साथ ही देश में एक नई चर्चा लोगों के बीच शुरू हो गई. लोगों को अपने स्वास्थ्य की चिंता का डर सताने लगा है. दरअसल, कोरोना काल के दौर से ही लोगों को स्वास्थ्य की चिंता होने लगी थी. कई स्वास्थ्य वैज्ञानिक कह चुके हैं कि 5जी टॉवर से निकलने वाला रेडिएशन लोगों के स्वास्थ्य की चिंता का विषय है. इसलिए, इन 5जी टावर के पास रहने से बचना चाहिए.
दरअसल, कई एक्सपोर्ट कह चुके है कि 5जी टॉवरों से निकलने वाला रेडिएशन लोगों के स्किन पर बुरा प्रभाव डाल रही है. इस खतरनाक रेडिएशन से लोगों को स्किन
से संबंधित कई खतरनाक बिमारी होने के संभावना है. यहां तक कि कैंसर होने की भी संभावना है. वहीं, कुछ विशेषज्ञ इसके उलट बता रहे हैं. उनका कहना है कि यह
सिर्फ भ्रम है और अभी तक किसी रिसर्च में यह पाया नहीं गया है कि 5जी नेटवर्क से लोगों के स्वास्थ्य को कोई नुकसान हो रहा है.
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इस मामले पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि 5जी में इस्तेमाल होने वाली फ्रीक्वेंसी पर सीमित रिसर्च है. इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड के प्रभाव स्वास्थ्य पर अभी अधिक
शोध करना बाकी है. लेकिन वर्तमान में 5G से जुड़े कोई स्वास्थ्य जोखिम नहीं हैं. वहीं, 2019 के एक रिसर्च में पाया गया कि मोबाइल फोन के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड से
चूहों में डीएनए डैमेज हुए. वहीं, दूसरी 2016 के एक रिसर्च में पाया गया कि किसी भी फ्रीक्वेंसी के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
इसके अलावा, 2020 की एक शोध में पता चला कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड मेंढक जैसे जीवों को प्रभावित करते हैं. हालांकि, अभी तक इंसानों में कोई नुकसान नहीं पाया
गया है.
गौरतलब है कि इससे पहले कोरोना के दौरान यह भ्रम तेजी से फैला था कि 5जी टेक्नोलॉजी ट्रायल के दौरान टॉवरों से निकलने वाली रेडिएशन हवा को जहरीला कर रही है. वहीं, 5जी टेक्नोलॉजी के केस में मशहूर अभिनेत्री जूही चावला को हाईकोर्ट 20 लाख का जुर्माना लगा चुकी है.
Source : News Nation Bureau