कश्मीर में इन दिनों वर्चुअल सिम कार्ड (Virtual Sim Card) का इस्तेमाल आतंकी वारदातों को अंजाम देने में किया जा रहा है. सुरक्षा एजेंसियां इस पर नजर बनी हुई है. ये सिम कार्ड सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी मुसीबत बने हुए हैं. दरअसल ये नई तकनीक है जिसका इस्तेमाल आतंकी एक दूसरे से संपर्क के लिए करते हैं. इसी 26/11 के मुंबई हमले में भी वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीआईआईपी) तकनीक का इस्तेमाल हुआ था. इटली की एक कंपनी ने जावेद इकबाल के नाम से 300 मर्तबा पैसा ट्रांसफर किया था, लेकिन जांच में पता चला कि जावेद इकबाल निर्दोष था, जिसके नाम का कंपनी ने गलत तरीके से इस्तेमाल किया था.
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क्या होता है वर्चुअल सिम कार्ड
वर्चुअल सिम कार्ड एक आभासी सिम है, जिसे कंप्यूटर के जरिए नंबर के माध्यम से जारी किया जाता है. सेवा प्रदाता विदेश से नंबर जारी करता है, जिसे इसका यूजर अपने स्मार्टफोन पर सेवा प्रदाता की मोबाइल एप लोड कर इस्तेमाल करता है. इसी एप से नंबर को व्हाट्सएप, फेसबुक, टेलीग्राम अथवा ट्विटर से जोड़ दिया जाता है. ऐसे माध्यम से कॉल, मेसेज से लेकर अन्य तरह के संवाद को पकड़ना खासा मुश्किल है. पुलवामा हमले की जांच में खुलासा होने के बाद से घाटी में ऐसी कई वर्चुअल सिम कार्ड एक्टिव होने की सूचना है. एक अधिकारी ने बताया कि तकनीक नई होने की वजह से इससे जुड़े नेटवर्क को भेदना सुरक्षा एजेंसियों के सामने मुश्किलें आ रही हैं. वर्चुअल सिम कार्ड जारी करने की प्रक्रिया में गड़बड़ी की आशंका भी ज्यादा रहती है, जिससे इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए भी काम किया जा रहा है.
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अमेरिका समेत कई देशों से जारी हो रहे सिम कार्ड
वर्चुअल सिम कार्ड जारी करने वाले सेवा प्रदाताओं में अमेरिका समेत कई देशों की कंपनियां शामिल हैं. ज्यादातर वर्चुअल सिम अमेरिका, कनाडा, यूके, इस्राइल, पोर्टो रिको, कैरिबियन आइलैंड से जारी हो रहे हैं. पुलवामा हमला करने वाले सूसाइड बांबर ने जिस सिम का इस्तेमाल किया था, उसकी डिटेल अमेरिका से मांगी गई थी.
Source : News Nation Bureau