इस साल 2018 में किसानों द्वारा किए गए दो बड़े आंदोलनों से कांग्रेस पार्टी को चुनावों के लिए बड़ा मुद्दा मिला. जिसको कांग्रेस ने पांच राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, मिजोरम और राजस्थान में हुए अपने चुनाव प्रचार के दौरान जमकर भुनाया भी. अपनी रैलियों को संबोधित करते हुए खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों से कर्ज माफी का वादा किया और अपनी पार्टी के मेनिफेस्टो में भी इसको जगह दी. साथ ही कांग्रेस पार्टी ने किसान के मुद्दे पर जमकर भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया. इसके बाद कांग्रेस को पांच राज्यों में से तीन राज्य छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में जीत भी हासिल की.
छत्तीसगढ़ में जहां कांग्रेस को 90 में से 67 सीटें मिलीं वहीं मध्य प्रदेश में 114 और राजस्थान में कांग्रेस को 99 सीटें मिलीं. बीते दो सालों की बात करें तो जब-जब जिस पार्टी ने किसानों के कर्ज माफी का मुद्दा चुनाव में उठाया उसे जीत हासिल हुई है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या किसानों के कर्ज माफी का मुद्दा चुनावी पार्टीयों की जीत की गारंटी बन गया है? तो क्या यह मुद्दा 2019 में भी इसी तरह से रैलियों में उठेगा?
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वहीं बात करें अगर 2017 में हुए यूपी चुनाव की तो बीजेपी(bjp) ने भी किसानों ने भी किसानों से कर्ज माफी का वादा किया था. बदले में बीजेपी ने 400 में से 325 सीटों पर जीत हासिल की. इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने 36 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ करने का ऐलान किया था. बात करें पंजाब विधानसभा चुनाव की तो किसानों के कर्ज माफी के मुद्दे को उठाने के बाद कांग्रेस को 117 सीटों में 77 सीटों पर जीत मिली. जिसके बाद सरकार में आने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 10 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफी का एलान किया. साल 2018 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान जेडीएस ने कर्ज माफी का वादा किया था. इसके बाद एचडी कुमारस्वामी ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई.
कांग्रेस ने इस बार और क्या किए थे वादे
राजस्थान में कांग्रेस ने किसानों से सरकार बनने के 10 दिनों के बाद ही कर्ज माफी का वादा किया था. साथ ही वादा किया गया था कि कृषि उपकरणों पर जीएसटी में छूट दी जाएगी. वहीं मध्य प्रदेश में राहुल गांधी ने कर्ज माफी के साथ ही धान का एमएसपी बढ़ाने का वादा किया था. छत्तीसगढ़ में कर्जमाफी के साथ ही धान का समर्थन मूल्य दो हजार से बढ़ाकर ढाई हजार करने का वादा किया था. वहीं तेलंगाना में टीआरएस ने किसानों से वादा किया था कि अगर दोबारा उनकी सत्ता बनती है तो रायतू बंधु स्कीम के तहत किसानों को प्रति एकड़ मिलने वाले आठ हजार रुपए प्रति वर्ष को बढ़ाकर 10 हजार कर दिया जाएगा. यह राशि किसानों को खर्च के लिए राज्य सरकार की ओर से दी जाती है.
गौरतलब है कि हाल ही में न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए क़ानून बनाने की मांग और कर्ज़ माफी जैसे कई मुद्दों को लेकर 19 नवंबर से देश भर के किसान दिल्ली के संसद मार्ग पर 'किसान मुक्ति संसद' का आयोजन किया. इसका आयोजन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के तत्वाधान में हुआ. इस प्रदर्शन में पूरे देश के लगभग 184 किसान संगठनों ने हिस्सा लिया.
Source : News Nation Bureau