उत्तराखंड में यूसीसी लागू होते ही तलाक और शादी को लेकर कानून बदल गए. जब उत्तराखंड में यूसीसी लागू नहीं था तो अन्य राज्यों की तरह यहां भी तलाक और शादी के अलग-अलग कानून थे. जैसे मुस्लिम धर्म में तलाक, निकाह और हलाला शरीयत के जरिए होता था, लेकिन यूसीसी लागू होते ही उत्तराखंड से ये सभी कानून खत्म हो गए. यानी इस राज्य में रहने वाले लोगों के लिए एक ही कानून होगा, जिसके तहत शादी और तलाक हो सकेगा. इस कानून को लेकर काफी हंगामा भी हुआ लेकिन इसके बावजूद अब यह कानून का रूप ले चुका है. ऐसे में आज हम आपको तलाक, निकाह और हलाला से जुड़ी जानकारी देंगे कि मुगल काल में निकाह और तलाक के क्या कानून था.
मुगल काल में कैसे होती थी तलाक?
मुग़ल काल में तलाक व्यवस्था थी. साल 1526 से 1761 तक मुस्लिम पुरुषों और महिलाओं के बीच तलाक की चलन होती थी. इस दौरान पुरुष तलाक लेते थे, जबकि महिलाएं 'खुला' लेती थीं. यह कानून शरीयत में भी देखने को मिलता है. प्रोफ़ेसर शिरीन मूस्वी बीबीसी हिंदी पर एक लेख में लिखती हैं कि मुग़ल काल के दौरान मुसलमानों में तलाक के बहुत कम मामले होते थे. उस समय लोग तलाक को सही नहीं मानते थे. अगर किसी को तलाकशुदा कह दिया जाए तो वह मरने-मारने पर उतारू हो जाता था. यानी इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि मुगल काल में तलाक लेना यानी समाज के नजर में बुरा बनने जैसा होता था.
मर्दों की होती थी मनमानी
हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं था कि पुरुष तलाक नहीं लेते थे और उन्हें इसकी परवाह भी नहीं थी. मुगल काल में पुरुषों का वर्चस्व था. उस काल में बहुत मनमानी किया करते थे. वे इतनी मनमानी करने लगे कि बादशाह जहांगीर को हस्तक्षेप करना पड़ा और इस पर सख्त फैसला लेना पड़ा, तब जाकर मामले में कमी देखने को मिली.'मजलिस-ए-जहांगीरी' के अनुसार जहांगीर ने पत्नी की जानकारी के बिना पति द्वारा तलाक की घोषणा को अवैध घोषित कर दिया था. जहांगीर के इस आदेश के बाद पुरुषों की मनमानी रुक गई और महिलाओं को अपनी आवाज उठाने की ताकत मिली. मौखिक तलाक के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं ने आवाज उठानी शुरू कर दी.
तलाक को लेकर बने सख्त कानून
इतिहाकारों के मुताबिक, मुगल काल में गरीब मुसलमान तपके में जुबान वादे का चलन काफी देखने को मिलता था जबकि इसके उल्ट पढ़े-लिखे और रईस मुसलमानों के बीच निकाहनामे या तलाक लिखित किया करते थे. प्रोफेसर शिरीन के मुताबिक मुगल काल में निकाह की चार मुख्य शर्ते होती थीं.
इसमें पहली शर्त होती थी कि पति अपनी वर्तमान पत्नी के रहते हुए दोबारा शादी नहीं कर सकेगा. दूसरा- पत्नी को नहीं मारेंगे. तीसरा- अगर पति लंबे समय तक अपनी पत्नी से दूर रहता है तो वह पत्नी के भरण-पोषण की व्यवस्था करेगा. चौथा- पत्नी के जीवित रहते पति किसी अन्य महिला को गुलाम बनाकर नहीं रख सकेगा. अगर इन चार शर्तों में सभी शर्ते टूट जाती थी तो निकाह को खत्म घोषित कर दिया जाता था. बता दें कि मुलग काल मे तलाक को लेकर काफी सख्त कानून थे लेकिन ये कानून गरीबों में लागू ज्यादा देखने को मिलते नहीं थे
Source : News Nation Bureau