दिल्ली की स्पेशल सेल ने फंडिग के आरोपों में पीएफआई के दिल्ली स्टेट हेड परवेज अहमद को हिरासत में ले लिया है. इसके साथ PFI के सचिव इलियास को भी गिरफ्तार किया गया है. स्पेशल सेल इलियास से लगातार पूछताछ कर रही है. ये पूछताछ पीएफआई के द्वारा होने वाली फंडिंग और सीएए, एनआरसी के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों की फंडिंग को लेकर जुटाई जा रही है.
स्पेशल सेल इलियास से लगातार पूछताछ कर रही है. ये पूछताछ पीएफआई के द्वारा होने वाली फंडिंग और सीएए, एनआरसी के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों की फंडिंग को लेकर जुटाई जा रही है.
क्या है आरोप?
दरअसल PFI पर आरोप है कि 20 दिसंबर 2019 को हिंसा कराने के लिए उसने देशभर में लोगों को पहले से मानसिक रूप से तैयार कियटा था. इसके लिए उसने 12 लोगों के खाते में पासे डाले थे. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इन 12 में से 4 अकाउंट में 3 करोड़ आने की खबर सामने आई थी. पुलिस ने इस मामले में बैंकों से संदिग्ध अकाउंट की जानकारी मांगी थी. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर ये PFI है क्या?
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क्या है PFI
· PFI केरल से संचालित होने वाला एक कट्टर इस्लामिक संगठन है.
· PFI की स्थापना साल 1993 में बने नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट से निकलकर हुई है.
· साल 1992 में बाबरी मस्जिद ढहने के बाद नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम से एक संगठन बना था.
· एनआईए के मुताबिक , साल 1992 में बाबरी मस्जिद ढहने के बाद केरल कट्टर इस्लामिक संगठनों का पनाहगाह बन गया. इसी दौर में वहां नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट बनी थी.
· साल 2006 में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट का पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया में विलय हो गया.
· संगठन 2006 में सुर्खियों में आया था , जब दिल्ली के रामलीला मैदान में इनकी तरफ से नेशनल पॉलिटिकल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था.
· केरल में पीएफआई की मजबूत स्थिति है. हालांकि वो पूरे देश में फैले हुए हैं.
· एनआईए के मुताबिक , देश के 23 राज्यों में पीएफआई की पैठ है.
· केरल और कर्नाटक में इन्होंने अपने राजनीतिक संपर्क भी बना लिए हैं.
· पीएफआई का दावा है कि वो मुस्लिम समुदाय की भलाई के लिए काम करती है.
· इनका कहना है कि ये मुसलमानों के हक और अधिकार की आवाज को बुलंद करती है. हालांकि असलियत इसके ठीक उलट है.
· पीएफआई के बारे में कहा जाता है कि उसका केरल मॉड्यूल ISIS के लिए काम कर रहा था. वहां से इसके सदस्यों ने सीरिया और इराक में ISIS को जॉइन किया.
· पीएफआई के लिंक भारत में बैन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी से भी रहे हैं.
· पीएफआई के कुछ सदस्य पहले सिमी के सक्रिय कार्यकर्ता रह चुके हैं.
· पीएफआई के राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल रहमान पहले सिमी का राष्ट्रीय सचिव रह चुका है. जबकि पीएफआई का राज्य संगठन सचिव अब्दुल हमीद इसके पहले 2001 में सिमी में इसी पद पर था.
· बताया जाता है कि साल 2006 में सिमी को बैन कर दिए जाने के बाद इसके सदस्य पीएफआई में आ गए.
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पीएफआई पर आरोप
· इस संगठन का हाथ कई राजनीतिक हत्याओं और धर्म परिवर्तन के मामलों में रहा है.
· पीएफआई का नाम लव जिहाद के मामलों में भी आया है.
· साल 2010 में पीएफआई पर आरोप लगा कि इसके सदस्यों ने एक मलयाली प्रोफेसर टी जे जोसेफ का दाहिना हाथ काट डाला था. क्योंकि प्रोफेसर ने पैगंबर पर सवाल उठाए थे.
· साल 2012 में इस ग्रुप का नाम असम के कोकराझार में आया. कहा गया कि पीएफआई के सदस्यों ने जानबूझकर इलाके में अफवाह फैलाकर दंगा फैलाया.
· साल 2012 में केरल की सरकार ने हाईकोर्ट में एक एफिडेविट दी थी. इसमें आरोप लगाया गया था कि पीएफआई के सदस्यों का सीपीआई(एम) और आरएसएस से जुड़े 27 राजनीतिक हत्याओं में हाथ था. सरकार ने कहा कि ज्यादातर हत्याएं सांप्रदायिक रंग देकर की गई थी. इसके अलावा भी इनकी 86 इसी तरह की हत्याएं करने की योजना थी. ये एफिडेविट कन्नूर में एक एबीवीपी से जुड़े छात्र सचिन गोपाल की हत्या के बाद दी गई थी.
· साल 2013 में पीएफआई पर उत्तरी कन्नूर में एक ट्रेनिंग कैंप चलाने का आरोप लगा. कन्नूर पुलिस ने कहा कि कैंप से उन्हें तलवार , बम , आदमी की तरह दिखने वाले लकड़ी के पुतले , देसी पिस्तौल और आईईडी ब्लास्ट में काम आने वाली चीजें मिलीं. कैंप से कुछ बैनर पोस्टर भी बरामद हुए , जो आतंकी गतिविधि में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करने वाली थी.
· साल 2016 में कर्नाटक के एक स्थानीय आरएसएस नेता रुद्रेश की दो मोटरसाइकिल सवार लोगों ने हत्या कर दी थी. बेंगलुरु के शिवाजीनगर में हुए इस हत्या में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था. ये चारों पीएफआई से जुड़े हुए थे.
· साल 2017 में केरल की पुलिस ने एनआईए को लव जिहाद के 94 मामले सौंपे थे. बताया जाता है कि लव जिहाद के इन मामलों के पीछे पीएफआई के 4 सदस्यों का हाथ था. एनआईए को शक था कि 94 शादियों में से 23 पीएफआई ने अपनी निगरानी में करवाई थी.
· मई 2019 में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पीएफआई के कई ऑफिसों पर छापे मारे. खुफिया एजेंसी के अधिकारियों को शक था कि इसके सदस्यों ने 21 अप्रैल को ईस्टर के मौके पर श्रीलंका में हुए बम ब्लास्ट के मास्टरमाइंड का ब्रेन वॉश किया था. श्रीलंका के इस बम धमाके में 250 लोगों की मौत हुई थी.
· दिसंबर 2019 में केंद्रीय एजेंसियों के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से साझा किए गए ताजा खुफिया इनपुट और गृह मंत्रालय के मुताबिक , यूपी में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के दौरान शामली , मुजफ्फरनगर , मेरठ , बिजनौर , बाराबंकी , गोंडा , बहराइच , वाराणसी , आजमगढ़ और सीतापुर क्षेत्रों में पीएफआई सक्रिय रहा है.
· दिल्ली हिंसा में PFI लिंक : दिल्ली दंगों की जांच के दौरान इसके पीछे पीएफआई के हाथ होने के मिले संकेत , आईएसआई से भी जुड़ रहे तार . कुछ अहम मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल से भी संकेत , हिंसा के दौरान अलीगढ़ और दिल्ली में ये नंबर लगातार थे ऐक्टिव . ISI के हाथ होने के भी मिले संकेत , पाकिस्तानी ट्विटर और फेसबुक अकाउंट से लगातार शेयर हो रहे थे फर्जी विडियो . फर्जी विडियो और कॉन्टेंट के जरिए हिंसा का डर दिखाकर दंगों की रची गई साजिश .
अलीगढ़ और नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हिंसा का पैटर्न तकरीबन एक जैसे
पुलिस सूत्रों के मुताबिक , खुफिया एजेंसियों के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि आईएसआई और पीएफआई के बीच साजिश रचने की साठगांठ रही .
रिपोर्ट के मुताबिक , दिल्ली और अलीगढ़ में हिंसा के समय और पैटर्न लगभग एक से थे . दोनों जगहों पर हिंसा की शुरुआत पत्थरबाजी से हुई . भीड़ बढ़ने के बाद हिंसा करने वाले पहले से हथियारों से लैस थे . उन्होंने आगजनी करना और दुकानों को लूटना शुरू कर दिया . मास्टरमाइंडों ने वॉट्सऐप ग्रुप के जरिए लोगों को पहले ही हिंसा का डर , आशंका और उसके लिए फुल तैयारी करने के लिए टिप्स दिए थे . यह उसी साजिश का हिस्सा था .
पीएफआई कई राज्यों में अपनी पैठ बना चुका है
· एनडीएफ के अलावा कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी , तमिलनाडु के मनिथा नीति पासराई , गोवा के सिटिजन्स फोरम , राजस्थान के कम्युनिटी सोशल एंड एजुकेशनल सोसाइटी , आंध्र प्रदेश के एसोसिएशन ऑफ सोशल जस्टिस समेत अन्य संगठनों के साथ मिलकर पीएफआई ने कई राज्यों में अपनी पैठ बना ली है .
· पीएफआई के कार्यकर्ता कई राज्यों में लगातार सक्रिय रहे हैं. दिल्ली , आंध्र प्रदेश , असम , बिहार , केरल , झारंखड , पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में इस संगठन के सक्रिय होने की जानकारी मिली.
· यह संगठन वर्तमान समय में 23 राज्यों तक अपनी पकड़ बना चुका है.
· यह संगठन खुद को न्याय , स्वतंत्रता और सुरक्षा का पैरोकार बताता है और मुस्लिमों के अलावा देश भर के दलितों , आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार के लिए समय समय पर मोर्चा खड़ा करता है.
· पीएफआई खुद को न्याय , आजादी और सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले नव-समाज के आंदोलन के रूप में बताता है .
· इस संगठन की कई शाखाएं भी हैं . जिसमें महिलाओं के लिए- नेशनल वीमेंस फ्रंट और विद्यार्थियों के लिए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया . पर गठन के बाद से ही इस संगठन पर कई समाज विरोधी व देश विरोधी गतिविधियों के आरोप लगते रहे हैं.
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पीएफआई बैन की सिफारिश
नागरिकता संशोधन कानून पर प्रदेश भर में हिंसा में शामिल होने के सबूतों के बाद डीजीपी मुख्यालय ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश गृह विभाग को भेजा.
उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर पूरे राज्य के कई जिलों में हुए तमाम हिंसक प्रदर्शनों के खिलाफ योगी सरकार सख्ती से काम लेने की खबर आई थी. तब खबर आई थी कि योगी सरकार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ( PFI) पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है.
उत्तर प्रदेश के 21 जिलों में हुए हिंसक प्रदर्शन में पीएफआई का नाम सामने आया था. इसके बाद पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद , कोषाध्यक्ष नदीम अहमद और मंडल अध्यक्ष अशफाक लखनऊ में गिरफ्तार भी हुए थे.
यूएपीए के तहत 39 संगठनों पर बैन
31 दिसंबर को जारी प्रेस रिलीज में पीएफआई के जनरल सेक्रटरी एम मोहम्मद अली जिन्ना ने यूपी पुलिस के आरोपों को बेहूदा और खुद को बचाने की कोशिश बताया था.
यूएपीए के तहत 39 संगठनों पर बैन लग चुका है. इनमें सिमी , इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) , लश्कर-ए-तैयबा और बब्बर खालसा इंटरनैशनल जैसे आतंकी संगठन शामिल हैं. अगस्त 2019 में किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने के लिए मोदी सरकार ने इस ऐक्ट में संशोधन किया था. इसके बाद जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के मसूद अजहर , जमात-उद-दावा के चीफ हाफिज सईद और उसके सहयोगी जकीउर्रहमान लखवी और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को आतंकी घोषित किया गया था.
ऐसे बनाई यूपी में पैठ
· बताया जाता है कि सीएए व एनआरसी का विरोध , अनुच्छेद 370 , अयोध्या पर फैसला , तीन तलाक जैसे मुद्दों के बहाने विवादित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने यूपी में अपनी पैठ बनाई. पिछले एक साल से पीएफआई यूपी में तेजी से सक्रिय हो रहा था.
· लखनऊ , बाराबंकी , बहराइच , हरदोई , लखीमपुर खीरी , सीतापुर , शामली , बिजनौर , मुजफ्फरनगर , मेरठ , हापुड़ , गाजियाबाद , अलीगढ़ में पीएफआई के लोग संगठन को विस्तार देने में लगे हैं.
· बाराबंकी , सीतापुर , मुजफ्फरनगर , बिजनौर और मेरठ में पीएफआई के लोगों के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज हुए. कई मामलों में पुलिस ने जांच के बाद फाइनल रिपोर्ट भी लगा दी.
· पीएफआई से जुड़े लोगों ने लखनऊ कुर्सी रोड स्थित भाखामऊ के एक निजी शिक्षण संस्थान , बाराबंकी में महादेवा के पास कुर्सी , अमरसंडा और बहराइच के जरवल में कई नुक्कड़ सभाएं कीं और पर्चे बांटे.