एक वक्त में पूरे देश दुनिया में तहलका मचाने वाले बेहमई कांड (Behmai kand) की सुनवाई अब पूरी हो गई है, संभावना जताई जा रही है कि आज इस मामले पर फैसला (Behmai Kand hearing) आ सकता है. यह केस अब से करीब 38 साल पुराना है. साल 1981 में उत्तर प्रदेश के कानपुर के बेहमई गांव में दस्यु सुंदरी फूलन देवी (Phoolan Devi) और उनके गिरोह ने लाइन में खड़ा करके 20 लोगों की हत्या गोली मारकर कर दी थी. हालांकि अब तक मामले की मुख्य आरोपी फूलन देवी (Phoolan Devi death) समेत कुल 15 आरोपियों की मौत भी हो चुकी है. अब आज फैसले का इंतजार किया जा रहा है.
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बेहमई नरसंहार कांड साल 1981 में उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में हुआ था. इस मामले का केस पिछले 39 सालों से केस चल रहा है. अब आज यानी सोमवार को कानपुर का एक ट्रायल कोर्ट फैसला सुनाने जा रहा है. इस मामले में आरोप है कि फूलन देवी ने 14 फरवरी साल 1981 को 20 लोगों को एक साथ लाइन में खड़ा करके गोलियों से भून दिया था जिसमें सभी लोग मारे गए थे. उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव में दलित जाति में पैदा हुई फूलन देवी को बेहमई गांव के ठाकुरों ने एक सप्ताह तक गैंगरेप किया और पूरे गांव में नंगा करके घुमाया था. जब फूलन इनकी कैद से बचकर भाग पाई तो कई महीनों के बाद 14 फरवरी 1981 को फूलन देवी दस्यु बनीं. अपने गिरोह के साथ 20 लोगों को बेहमई में मौत के घाट उतारा.
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बताया जाता है कि जब फूलन देवी महज 17 साल की थी तब उसी गांव के लालाराम और श्रीराम ने अपने 20 साथियों सहित फूलन देवी के साथ कई दिनों तक गैंगरेप किया था और फूलन को नंगा करके पूरे गांव में घुमाया था. इसके बाद फूलन ने अपने शोषण का बदला लेने के लिए इस नरसंहार को अंजाम दिया था. इस नरसंहार ने देश-दुनिया में तहलका मचा दिया था. इसके बाद पुलिस ने डकैतों के खिलाफ अभियान चलाया और बीहड़ों से डकैतों का लगभग सफाया भी कर दिया था. पुलिस ने नरसंहार की एफआईआर में फूलन देवी, लल्लू गैंग, राम अवतार, मुस्तकीम और 35-36 अन्य डकैतों का आरोपी बनाया था.
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जानकारी के मुताबिक मारे गए इन 20 लोगों में से 17 लोग ठाकुर जाति के थे. फूलन देवी ने यह नरसंहार अपने साथ हुए गैंगरेप और अपमान के बाद बदला लेने के लिए किया था. यही बेहमई हत्याकांड था जिसे फूलन देवी ने डकैत बनने के बाद अंजाम दिया था इसी हत्याकांड का केस पिछले 39 सालों से चल रहा है. सरकारी वकील ने इस मामले में बताया है कि इस केस में शामिल आरोपियों के ट्रायल के दौरान ही फूलन देवी समेत 12 डकैतों की मौत हो चुकी है. साल 2001 में शमसेर सिंह राणा नामके व्यक्ति ने फूलन देवी को उनके आवास पर ही गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस हत्याकांड में मारे गए लोगों की विधवाएं आज तक न्याय की उम्मीद लगाए बैठीं हैं. आज की तारीख में इन विधवाओं में से महज आठ ही जीवित हैं, जो किसी तरह से अपना भरण-पोषण कर रही हैं कई सरकारें आईं और गईं लेकिन अब तक इन विधवाओं से किया हुआ विधवा पेंशन का वादा पूरा नहीं कर सकीं. इस गांव में बिजली तो है लेकिन कुछ ही समय तक आती है रात में गांव में अंधेरा ही कायम रहता है. 300 घरों वाला यह गांव मूलभूत सुविधाओं से अभी भी दूर है.
Source : News Nation Bureau