India vs Bharat: आज से ठीक 74 साल पहले देश के नाम को लेकर सविधानसभा में बहस चल रही थी. इसमें एक तरफ हरी विष्णु कामत और दूसरी तरफ भीमराव आंबेडकर थे. ये वही दिन थे जब देश के भविष्य पर जोरों से चर्चा चल रही थी. इसी में सबसे महत्वपूर्ण था देश का नाम क्या होना चाहिए क्यूंकि बहुत से लोग इंडिया नाम रखने के पक्ष में नहीं थे, वह कहते थे देश का नाम भारत हो या भारतवर्ष या फिर भारत भूमि. 18 सितंबर 1949 , यानी आज़ादी मिलने के ठीक 2 साल 11 महीने और 18 दिन के बाद पहली बार देश की सविधानसभा में देश के नाम पर चर्चा हुई. भीमराव आंबेडकर ने दो नाम भारत और इंडिया का सुझाव दिया था. सभी लोग इन नामों से सहमत नहीं थे.
हरी विष्णु कामत ने नाम बदलने का प्रस्ताव रखा
हरी विष्णु कामत ने इंडिया नाम के विरोध में संशोधन पेश किया और देश का नाम सिर्फ भारत या भारत वर्ष या भारतभूमि करने की मांग की. कामत ने अपना मत रखते हुए कहा कि "हमारे देश का जन्म एक गणराज्य के रूप में होने जा रहा है , जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसका नामकरण किया जाता है. हमारे देश के लोग भी चाहते है देश का नामकरण हो जिसके लिए हमारे पास काफी सारे सुझाव भी आये है."
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आंबेडकर ने किया प्रस्ताव का विरोध
बहुत सारे लोगो ने सवाल किया कि आखिर देश का नाम बदलना क्यों ज़रूरी है ? इसकी ज़रूरत ही क्या है ? दुनिया जब इंडिया के नाम से जानती ही है. इस पर हरिविष्णु कामत ने तर्क देते हुए कहा "देश का नाम भारत, भारतवर्ष या भारतभूमि होना चाहिए क्यूंकि यही हमारे देश के प्राचीन नाम है ". कामत के इस तर्क पर आंबेडकर ने असहमति ज़ाहिर करते हुए कहा कि इस प्रस्ताव का कोई औचित्य नहीं है.
सेठ गोविंददास ने दिया पौराणिक इतिहास का हवाला
बहुत लम्बी बहस के बाद हरी विष्णु कामत का समर्थन करते हुए सेठ गोविंद दास ने कहा " हमारे सभी वेदों , उपनिषदों , महाभारत, विष्णुपुराण, ब्रम्हपुराण में देश के लिए भारत शब्द का प्रयोग किया गया है. यूनानी जब भारत आये तो उनके आने के बाद ही इंडिया शब्द का इस्तेमाल शुरू होने लगा. पहले उन्होंने सिंधु नदी का नाम इंडस रखा उसके बाद इंडस से इंडिया बन गया
लंबी बहस के बाद गिरा था प्रस्ताव
बहस के बाद नाम पर वोटिंग का दौर शुरू हुआ. जिसमे दक्षिण और गैर हिंदी भाषी ने भारत नाम पर असहमति ज़ाहिर करते हुए उसके पक्ष में वोट नहीं किया , और प्रस्ताव 38 के मुकाबले 51 मतों से गिर गया. अंत में " इंडिया अर्थात भारत राज्यों का संघ" नाम सदन में पारित हो गया और सविधान के अनुच्छेद-1 में लिखा गया "इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा."
Source : Smriti Sharma