Bihar Politics: जनता दल-यूनाइटेड (जेडीयू) के नेता और राज्यसभा सांसद संजय झा को शनिवार को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिली है. संजय झा को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे. दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित हुई जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में ये अहम फैसला लिया. नीतीश कुमार ने उनके नाम का प्रस्ताव पेश किया, जिसका समर्थन पार्टी के सभी नेताओं ने किया. ऐसे में आइए जानते हैं कि संजय झा कौन हैं. उनको नीतीश ने जेडीयू में क्यों इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है. नीतीश के इस दांव के सियासी मायने क्या हैं.
शनिवार सुबह जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के लिए दिल्ली में जेडीयू नेताओं का जुटना शुरू हुआ था तब ये कायस लगाए जा रहे थे कि नीतीश कुमार कोई न कई बड़ा फैसला लेने वाले हैं. संजय झा को जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उन्होंने ये साबित भी कर दिया.
उधर, संजय झा ने पार्टी का कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने पर नीतीश कुमार का आभार प्रकट किया. साथ ही उन्होंने विश्वास जताने के लिए पार्टी के अन्य नेताओं को भी शुक्रिया कहा. इसको लेकर संजय झा ने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट भी किया है.
जनता दल (यूनाइटेड) के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष का महती दायित्व सौंपने के लिए मैं पार्टी के आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री @NitishKumar जी के प्रति हृदय से कोटिश: आभार प्रकट करता हूं।
मैं @Jduonline की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सभी सम्मानित नेताओं… pic.twitter.com/WZWP160Cyp
— Sanjay Kumar Jha (@SanjayJhaBihar) June 29, 2024
कौन हैं संजय झा?
राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने से पहले भी संजय झा की जेडीयू में बड़ी अहम भूमिका रही है. उनको मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बहुत करीबी और भरोसेमंद बताया जाता है. वह जेडीयू के राज्यसभा सांसद हैं. वह बिहार सरकार में मंत्री भी रहे हैं.
संजय झा की गिनती मिथिलांचल के बड़े नेताओं में होती है. वह जेडीयू के बड़े ब्राह्मण चेहरे हैं. संजय झा को राजनीति की अच्छी समझ है. सियासी उथल-पुथल के बीच पनप रहीं स्थितियों को भांपने में वो बड़े माहिर हैं. कहा तो ऐसा भी जाता है कि नीतीश सरकार के बड़े फैसलों में संजय झा की राय अहम मानी जाती है.
बैठक में हुई किन मुद्दों पर चर्चा
जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में जिन बातों पर सबसे ज्यादा जोर रहा, उनमें आगामी झारखंड और बिहार विधानसभा चुनावों की रणनीति, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या फिर स्पेशल पैकेज मिले और नीट पेपर लीक मामले की गहराई से जांच की मांग शामिल थी. बैठक में संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा करते हुए कहा गया कि पार्टी कार्यकर्ता अनुशासित सिपाही की तरह काम करें.
लोकसभा चुनाव में सफलतापूर्वक तालमेल और संवाद की रणनीति का पुनः उपयोग 2025 के विधानसभा चुनाव में भी किया जाएगा. प्रत्येक बूथ के लिए 5 से 10 कार्यकर्ताओं के नाम पहले से तय करने का निर्णय लिया गया. इसके साथ ही, राज्य और जिला पदाधिकारियों को बूथ प्रभारी के संपर्क में रहने की हिदायत दी गई.
संजय झा को क्यों मिली ये जिम्मेदारी?
संजय झा को जेडीयू का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर नीतीश कुमार ने बड़ा सियासी दांव चला है. आइए उनके इस फैसले के पीछे के सियासी मायनों को समझने हैं. संजय झा की जेडीयू और बिहार की सियासत में बड़ी भूमिका है. बिहार में जेडीयू के फिर से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ आने के पीछे संजय झा का ही हाथ है.
कहा जाता है कि उन्होंने JDU के महागठबंधन से अलग होने में अहम भूमिका निभाई थी. संजय झा के बीजेपी नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं. इसी वजह से जेडीयू और बीजेपी एक दूसरे के इतने नजदीक हैं. पार्टी न सिर्फ बिहार में बल्कि केंद्र सरकार में बीजेपी के साथ है.
नीतीश ने संजय झा को बड़ी जिम्मेदार देकर ये साफ कर दिया है कि वो बीजेपी के साथ अपने संबंधों को अच्छा बनाए रखने में विश्वास करते हैं और आने वाले दिनों में भी बीजेपी के साथ संबंध बेहतर रहें.
वहीं इस साल झारखंड में और अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव हैं. आम चुनावों में अच्छे प्रदर्शन से गदगद JDU इन चुनावों को लेकर भी अभी से रणनीति बनाने पर जोर दे रही है. पार्टी को संजय झा में बड़ी क्षमता दिखती है कि वो चुनावों में पार्टी को कामयाबी दिलवाएंगे.
चूंकि संजय झा की बीजेपी नेताओं के अच्छे संबंध हैं. ये देखने वाली बात होगी कि नीतीश के बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलवाने के मकसद में संजय झा कितने अहम साबित होते हैं.
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