जानें कैसे दही बड़े बेचने वाले का लड़का बना आतंक का चेहरा

18 साल की उम्र में एक साधारण लड़का नये कपड़े खरीदने की जिद करता है और पिता से तकरार के बाद घर छोड़कर चला जाता है।

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Soumya Tiwari
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जानें कैसे दही बड़े बेचने वाले का लड़का बना आतंक का चेहरा

Ajmal Amir Kasab at CST Station (file photo)

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18 साल की उम्र में एक साधारण लड़का नये कपड़े खरीदने की जिद करता है और पिता से तकरार के बाद घर छोड़कर चला जाता है। फिर सामने आता है आंतक का नया चेहरा। 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले का खूंखार चेहरा, अजमल आमिर कसाब।

26 नवंबर 2008 की रात 10 आतंकवादियों ने मुंबई पर कहर बरपा दिया। हमलावरों ने मुंबई के दो पांच सितारा होटलों, सीएसटी रेलवे स्टेशन और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाया। शुरू में तो किसी को अंदाज़ा भी नहीं था कि यह इतना बड़ा आतंकी हमला हो सकता है। इस हमले में बस एक आतंकी अजमल कसाब ही जिंदा पकड़ा जा सका। कसाब को 4 चार साल लंबी सुनवाई के बाद 21 नवंबर 2012 को पुणे के यरवडा जेल में सुबह साढ़े सात बजे फांसी दे दी गई।

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गांव के साधारण लड़के से लश्कर में शामिल होने की कहानी

बात साल 2005 की है जब दहीबड़ा बेच कर परिवार पालने वाले पिता से झगड़ने के बाद कसाब ने गांव छोड़ दिया। इसके बाद कसाब बड़े भाई के पास मजदूरी करने चला गया। मजदूरी में मन ना लगने से कसाब चोरी और छोटे मोटे अपराध करने लगा। इस बीच कसाब एक दिन रिवॉल्वर लेने के लिए लश्कर-ए- तैयबा के स्टॉल गया। इसके बाद कसाब आतंक की राह पर आगे बढ़ता ही चला गया।

मुंबई हमले में कैसे बना आतंकी

लश्कर-ए-तैयबा में शामिल होने के बाद कसाब को एक खास मिशन के लिए किया गया। तीन महीने की ट्रेनिंग में हथियार चलाना, बम फेंकना, रॉकेट लांचर और मोर्टार चलाने की ट्रेनिंग दी गई। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद 24 में से 10 लड़के चुने गए। इन्हीं में एक नाम अजमल आमिर कसाब का भी था।

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रेलवे स्टेशन पर बरपाया कहर

देश के सबसे व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में से एक छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर आतंक के इस खूनी खेल का सबसे खौफनाक मंजर देखने को मिला। कसाब ने अपने साथी इस्माइल खान के साथ मिलकर अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी।सीएसटी में 58 लोगों की मौत हुई। एक मुश्किल ऑपरेशन में सीएसटी स्टेशन पर गोलियां बरसाने वाले कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया और उसके साथी को मार गिराया गया।

एक था कसाब

आतंक के इस चेहरे को 26 नवंबर की रात लगभग 1 बजे पुलिस के जवानों ने गिरफ्तार कर लिया। मौत का खूनी खेल खेलने वाले आतंकियों में एकमात्र जिंदा अजमल आमिर कसाब था। कसाब ने अपना जुर्म कबूल करते हुए हमले की पूरी कहानी बतायी। जिसके बाद कसाब को फांसी की सजा सुनाई गई। ऑपरेशन एक्स के तहत अजमल कसाब को यरवडा जेल में दफनाया गया।

Source : News Nation Bureau

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