केंद्र सरकार ने शिक्षा और नौकरी (Jobs) में आर्थिक रूप से कमजोर अगड़े वर्ग के लोगों के लिए 10 फीसद आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. मंगलवार को संसद सत्र के अंतिम दिन केंद्रीय मंत्री थावरचंद्र गहलोत इस बारे में संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश करेंगे. मोदी सरकार के इस कदम के बाद राजनीतिक हलकों में तमाम प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं. आइए देखते हैं किसने क्या कहा-
कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, बहुत देर कर दी मेहरबान आते-आते. सरकार ने चुनाव से ऐन पहले यह फैसला लिया है. वे क्या करते हैं, यह मैटर नहीं करता, क्या जुमला वे फेंकते हैं. कोई भी फैसला इस सरकार को बचा नहीं पाएगा.
राजद नेता तेजस्वी यादव ने आरक्षण के मुद्दे पर कहा कि अगर 15 प्रतिशत आबादी वालों को 10 प्रतिशत आरक्षण तो 85 प्रतिशत जनसंख्या को 90 प्रतिशत आरक्षण देना चाहिए.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा, हम सवर्णों को मिल रहे 10 फीसदी आरक्षण का स्वागत करते हैं लेकिन हमारी मांग है कि 8 लाख रुपये आय की मांग को सीमित करना चाहिए. हम नहीं चाहते हैं कि गरीब सवर्ण के नाम पर किसी दूसरे तपके के लोग इसका फायदा उठाएं. 8 लाख रुपयों के लिमिट को कम करने की ज़रूरत है.
मोदी कैबिनेट द्वारा श्रवणओं को 10% आरक्षण देने के मामले में कांग्रेस विधायक संजय शर्मा ने कहा है कि यह सिर्फ और सिर्फ लोकसभा चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार ने फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि आखिर इतने सालों से मोदी सरकार को श्रवणओं की याद क्यों नहीं आई.
वहीं बीजेपी विधायक विष्णु खत्री ने कहा है कि फैसले का स्वागत करते हैं. क्योंकि श्रवणओ में भी एक तबका ऐसा है जिस की आर्थिक स्थिति सही नहीं है। इस फैसले के बाद अब समाज में सामाजिक समरसता आएगी.