3 दिसंबर, 1971 को भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए भारत पाकिस्तान युद्ध पर टिप्पणी की थी. इंदिरा गांधी ने उस वक्त कुछ इन शब्दों का प्रयोग किया था.
'मैं आपको हमारे देश और हमारे लोगों पर आए एक बड़े संकट के बारे में बताना चाहती हूं. कुछ घंटे पहले, 3 दिसंबर की शाम 5.30 बजे के, पाकिस्तान ने हमारे खिलाफ एक पूर्ण पैमाने पर युद्ध शुरू किया था ... आज बांग्लादेश में युद्ध भारत का युद्ध बन गया है ... मुझे कोई संदेह नहीं है कि लोगों की एकजुट इच्छा से, पाकिस्तान की इच्छा और अकारण आक्रामकता को निर्णायक रूप से और अंत में निरस्त किया जाना चाहिए ... आक्रामकता को पूरा किया जाना चाहिए और भारत के लोग इसे दृढ़ता, दृढ़ संकल्प, अनुशासन और अत्यंत एकता के साथ मिलेंगे ... हमें लंबे समय तक कठिनाई और बलिदान के लिए तैयार रहना चाहिए.'
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जबकि विशेषज्ञों ने कहा है कि करीब चार दशक बाद 26 फरवरी, 2019 को भारत को इस युद्ध के दौरान वायु सेना की असली ताकत का एहसास हुआ और उसने पाकिस्तान के खिलाफ अपने विमानों का जबरदस्त प्रयोग किया. इस कार्रवाई के अंतर्गत भारतीय वायु सेना ने आतंक के लिए स्वर्ग कहे जाने वाले पाकिस्तान के कई आतंकी ट्रेनिंग कैपों पर बम गिराए. हालाकि भारतीय वायु सेना ने आधिकारिक तौर पर बालाकोट पर किए हमले को लेकर कुछ भी नहीं कहा है. ये इस बात को दिखलाता है कि ये मिलिटरी ऑपरेशन बड़े ही विशिष्ट योजना के तहत किया गया था.
हम 5 बिंदुओं में आपको बताते हैं कि कैसे इस दिन ने भारत के सामरिक दृष्टिकोण को बदल कर रख दिया
1- पाकिस्तान के काफी अंदर तक घुसकर वार करना - यह 1971 के बाद घटना है जब किसी भारतीय वायु सेना के विमान ने लाइन ऑफ कंट्रोल को पार किया. भारत ने हमेशा से सीमाओं का आदर किया है फिर चाहे वह 1999 के कारगिल युद्ध के समय ही क्यों न हो. भारत ने कभी भी किसी दूसरे देश की सीमा मे अतिक्रमण करने की कोशिश भी नहीं की है. जबकि 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के 120 किलोमीटर भीतर जाकर मुरीद एयरबेस को तबाह कर दिया था. हालाकि भारतीय वायु सेना को ये तक नहीं पाता था कि उन्होंने कहां बम गिराए हैं. यह एक सुनियोजित योजना नहीं थी. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायु सेना को स्क्वाड्रन लीडर आर एन भारद्वाज, फ्लाइंग ऑफिसर वी के हेबले, फ्लाइंग ऑफिसर बी सी करंबाया और फ्लाइट लेफ्टिनेंट ए एल देओसकर ने इस दिन को पाकिस्तान के लिए काला दिन बना दिया.
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प्रतिक्रिया में और दो सप्ताह के दौरान, भारतीय वायुसेना ने जम्मू, कश्मीर, पंजाब और राजस्थान में प्रमुख और आगे के ठिकानों से पश्चिम में कुछ 4,000 छंटनी की, जबकि पूर्व में, 1971 में 1,978 और छंटनी की गई थी.
2-जबकि 1971 के मिशन ने पाकिस्तान वायु सेना के इसी 15 स्क्वाड्रन की ताकत का 30% पाकिस्तान को नष्ट कर दिया था. 26 फरवरी का हवाई हमले में विशेष रूप से पाकिस्तानी धरती पर चल रहे आतंकी शिविरों को ही निशाना बनाया गया.
3-इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि बालाकोट हवाई हमले से पता चलता है कि भारत बिना किसी स्थिति में बेहद सटीक हमले करने में सक्षम है. पाकिस्तान के भीतर जाकर किए गए इस हमले से यह भी पता चलता है कि भारतीय वायु सेना पाकिस्तान के द्वारा किए जाने वाले संभावित प्रतिक्रिया के लिए पहले से तैयार है.
4- रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ ने खुद बालाकोट हमले का मास्टरप्लैन तैयार किया था. इससे ये पता चलता है कि भारत इससे भी बड़ी मुश्किलों या युद्ध जैसे हालातों का सामना करने के लिए बिल्कुल तैयार बैठा है.
5 - चाइना के द्वारा की गई प्रतिक्रिया से ये मतलब निकाला जा सकता है कि ये नया भारत है जिसे किसी भी तरह से दरकिनार नहीं किया जा सकता. जबकि इस कदम को इजरायल से प्रेरित बताना अभी काफी दूर की कौड़ी की बात होगी.
Source : Vikas Kumar