लोकसभा चुनावों में क्यों ठंडे पड़ गए कांग्रेस के गुजरात विस चुनाव के योद्धा

इन तीनों युवा नेताओं ने अपनी-अपनी जातियों में गहरी पैठ के चलते सूबे में कांग्रेस को बीजेपी के मुकाबले मजबूती से खड़ा किया था. लेकिन आज 18 महीनों के बाद जब देश की 17वीं लोकसभा का चुनाव हो रहा है तब कांग्रेस की ये युवा ब्रिगेड कहां बिखर गई

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Ravindra Singh
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लोकसभा चुनावों में क्यों ठंडे पड़ गए कांग्रेस के गुजरात विस चुनाव के योद्धा

फाइल फोटो

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साल 2017 में हुए गुजरात के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी. जिसका प्रमुख कारण प्रदेश के युवा नेताओं की तिकड़ी हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी. गुजरात विधान सभा चुनावों में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन के पीछे इन्ही युवा नेताओं का हाथ था जिसके दम पर कांग्रेस ने बीजेपी को लोहे के चने चबाने पर मजबूर कर दिया था. इन तीनों युवा नेताओं ने अपनी-अपनी जातियों में गहरी पैठ के चलते सूबे में कांग्रेस को बीजेपी के मुकाबले मजबूती से खड़ा किया था. लेकिन आज 18 महीनों के बाद जब देश की 17वीं लोकसभा का चुनाव हो रहा है तब कांग्रेस की ये युवा ब्रिगेड कहां बिखर गई आइये आपको बताते हैं कि कैसे ये युवा नेता तेजी से राजनीति में उभरे और अब कहां हैं.

सबसे पहले बात करेंगे हार्दिक पटेल की जो मेहसाड़ा दंगा केस में मिली सजा के चलते लोकसभा चुनाव में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं. हार्दिक इस बार का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे लेकिन अन्य राज्यों में वो कांग्रेस का प्रचार कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस के दूसेर योद्धा अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया. जबकि जिग्नेश मेवाणी अब खुद को राष्ट्रीय राजनीति के लिए तैयार करने में जुट गए हैं. मेवाणी मौजूदा समय गुजरात की वड़गाम सीट से विधायक हैं.

पाटीदार आंदोलन में चमके थे हार्दिक पटेल
साल 2015 में एक 22 वर्षीय युवक हाथों में बंदूक लिए एक बड़े जनसमुदाय को संबोधित कर रहा है ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही थीं. यह युवक कोई और नहीं बल्कि पाटीदार आंदोलन को संचालित करने वाला युवा नेता हार्दिक पटेल है. गुजरात की जनसंख्या में तकरीबन 12 प्रतिशत आबादी पाटीदार समुदाय की है. पाटीदारों को आरक्षण मांगने के लिए किए गए इस आंदोलन ने देखते ही देखते हार्दिक पटेल को एक बड़ी पहचान दे दी. अभी हाल के दिनों में ही हार्दिक पटेल ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली और गुजरात में पार्टी के लिए प्रचार करना भी शुरू कर दिया.

गुजरात में ऐसे मिली थी अल्पेश ठाकोर को पहचान
गुजरात में पाटीदार आंदोलन अपने चरम पर था. युवा कंधे से कंधा मिलाकर हार्दिक के साथ आ रहे थे. इसी दौरान पिछड़ा वर्ग की मांगों को लेकर एक और युवा सड़कों पर निकल पड़ा अल्पेश ने गुजरात में हो रही शराब तस्करी के खिलाफ आवाज उठाई. आपको बता दें कि गुजरात में शराब बैन है लेकिन फिर भी चोर-छिपे कारोबार जारी था. अल्पेश ठाकोर ने युवाओं की टीम बनाकर गुजरात में अरबों रुपये के शराब कारोबार के खिलाफ मजबूत अभियान चलाया था. जिसके बाद अल्पेश को गुजरात में नई पहचान मिली. उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की और विधायक भी बने. यहां पर हम आपको यह भी बताते चलें कि मौजूदा समय में अल्पेश कांग्रेस का दामन छोड़ चुके हैं. लेकिन उनका कहना है कि वो आगे भी सामाजिक कार्यों से जुड़े रहेंगे.

इस आंदोलन से उभरे थे जिग्‍नेश मेवाणी
11 जुलाई 2016 को गुजरात के उना में कुछ दलित युवकों को मृत गाय की चमड़ी निकालने की वजह से कथित तौर पर गौ रक्षक समिति का सदस्य बताने वाले लोगों ने सड़क पर बुरी तरह पीटा था इस कांड को 'उना दलित कांड' के नाम से जाना गया. इन लोगों ने दलितों की पिटाई का एक वीडियो भी जारी किया था. इस घटना के बाद प्रदेश के दलित समाज के युवा सड़कों पर उतर आए और मरी हुई गायों को उठाने से मना कर दिया था. उना की घटना को लेकर दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने आंदोलन किया जिसमें जिग्नेश को दलितों के साथ मुस्लिमों का भी सहयोग मिला. इस घटना की आवाज संसद में भी गूंजी जिसके बाद केंद्र सरकार भी बैकफुट पर नजर आई. गुजरात विधानसभा चुनाव में जिग्नेश मेवाणी ने बीजेपी के खिलाफ प्रचार किया, निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत कर विधानसभा भी पहुंचे.

Source : News Nation Bureau

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