पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली कूच किए हैं. 'दिल्ली चलो' मार्च निकाल रहे हैं. इस मार्च को रोकने के लिए हरियाणा और पंजाब सरकार ने अपने बॉर्डर सील कर दिए हैं. भारी पुलिस फोर्स भी तैनात किए गए हैं. जिन बिलों को मोदी सरकार किसानों के हित में और उसके लिए वरदान बता रही है, आखिर उसके खिलाफ किसान क्यों सड़कों पर उतरे हुए हैं. आइए आपको बताते हैं इस आंदोलन की जड़ क्या है?
1. किसानों को सबसे बड़ा डर न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म होने का है. इस बिल से सरकार ने कृषि उपज मंडी समिति यानी मंडी से बाहर भी कृषि कारोबार का रास्ता खोल दिया है.
2. हालांकि, सरकार ने बिल में मंडियों को खत्म करने की बात कहीं पर भी नहीं लिखी है, लेकिन उसका प्रभाव मंडियों को तबाह कर सकता है. इसका अंदाजा लगाकर किसान डरा हुआ है.
3. इस बिल के जरिए 'वन कंट्री टु मार्केट' वाली नौबत पैदा हो सकती है. क्योंकि मंडियों के अंदर टैक्स का भुगतान होगा और मंडियों के बाहर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
4. किसानों की ओर से यह कहा जा रहा है कि आढ़तिया या व्यापारी अपने 6-7 फीसदी टैक्स का नुकसान न करके मंडी से बाहर खरीद करेगा. जहां उसे कोई टैक्स नहीं देना है. जिससे मंडी समिति कमजोर होगी तो किसान धीरे-धीर बाजार के हवाले चला जाएगा.
5. किसानों की इस चिंता के बीच राज्य सरकारों को भी डर सता रहा है. अगर निजी खरीदार सीधे किसानों से अनाज खरीदेंगे तो उन्हें मंडियों में मिलने वाले टैक्स नहीं मिलेगा. दोनों राज्यों को मंडियों से मोटा टैक्स मिलता है, जिसे वे विकास कार्य में इस्तेमाल करते हैं.
Source : News Nation Bureau