कांग्रेस के युवा नेता और राहुल गांधी के खास करीबी नेताओं में से एक रहे जितिन प्रसाद ने बुधवार को कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. जितिन प्रसाद ने बीजेपी मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अनिल बलूनी की उपस्थिति में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. आपको बता दें कि जितिन प्रसाद कोई पहले ऐसे नेता नहीं हैं जिन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की हो. इसके पहले मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता और राहुल गांधी के सबसे करीबियों में से एक ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी की सदस्यता ली थी और जिसके बाद मध्यप्रदेश में सत्ता पलट कर दी गई थी. आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब कांग्रेस के कद्दावर नेता पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में चले गए हों आइए हम आपको बताते हैं कि कब-कब कांग्रेस ऐसे नाजुक मौकों पर टूटी है और कितने नेताओं ने कांग्रेस से विद्रोह किया है कुछ ने तो पार्टी में फिर वापसी की और कुछ ने नई पार्टियां बना लीं.
जानिए कब कब टूटी कांग्रेस
- आजादी से पहले ही कांग्रेस दो बार टूट चुकी थी. 1923 में सीआर दास और मोतीलाल नेहरू ने स्वराज पार्टी का गठन किया था.
- 1939 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने सार्दुल सिंह और शील भद्र के साथ मिलकर अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक का निर्माण किया.
- आजादी के बाद कांग्रेस से टूटकर लगभग 70 दल बन चुके हैं. इनमें से कई खत्म हो चुके हैं, जबकि कुछ आज भी अस्तित्व में हैं.
- आजादी के बाद पहली कांग्रेस को 1951 में टूट का सामना करना पड़ा, जब जेबी कृपलानी ने अलग होकर किसान मजदूर प्रजा पार्टी बनाई.
- एनजी रंगा ने हैदराबाद स्टेट प्रजा पार्टी बनाई. जिसके बाद सौराष्ट्र खेदुत संघ भी इसी साल बनी.
- 1956 में सी. राजगोपालाचारी ने अलग होकर इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी बनाई.
- 1959 में बिहार, राजस्थान, गुजरात और ओडिशा में कांग्रेस टूट गई. यह सिलसिला लगातार जारी रहा.
- 1964 में केएम जॉर्ज ने केरल कांग्रेस बनाई.
- 1967 में चौधरी चरणसिंह ने कांग्रेस से अलग होकर भारतीय क्रांति दल बनाया. बाद में इन्होंने लोकदल के नाम से पार्टी बनाई.
मूल कांग्रेस का चुनाव चिह्न बैल जोड़ी था, लेकिन आंतरिक कलह के चलते 12 नवंबर, 1969 को कांग्रेस ने इंदिरा गांधी को पार्टी से बर्खास्त कर दिया. उस समय इंदिरा ने कांग्रेस (आर) नाम से एक नई पार्टी बनाई, जिसका चुनाव चिह्न 'गाय और बछड़ा' था. 1971 से लेकर 1977 के चुनावों तक कांग्रेस ने इसी चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़ा लेकिन हालात कुछ ऐसे पैदा हुए कि फिर कांग्रेस के टूटने की स्थिति आ गई. 1977 के चुनावों में इंदिरा गांधी की बुरी शिकस्त के बाद कांग्रेस के उनके बहुत से सहयोगियों को लगा कि इंदिरा अब खत्म हो चुकी है. लिहाजा कांग्रेस में फिर इंदिरा गांधी को लेकर असंतोष की स्थिति थी. ब्रह्मानंद रेड्डी और देवराज अर्स समेत बहुत से कांग्रेस नेता चाहते थे कि इंदिरा को किनारे कर दिया जाए.
ऐसे में जनवरी 1978 में इंदिरा ने कांग्रेस को फिर तोड़ते हुए नई पार्टी बनाई. इसे उन्होंने कांग्रेस (आई) का नाम दिया. उन्होंने इसे असली कांग्रेस बताया. इसका असल राष्ट्रीय राजनीति से लेकर राज्यों की राजनीति तक पड़ा. हर जगह कांग्रेस दो हिस्सों में टूट गई. अबकी बार इंदिरा गांधी ने चुनाव आयोग से नए चुनाव चिन्ह की मांग की. गाय-बछड़े का चुनाव चिन्ह देशभर में कांग्रेस के लिए नकारात्मक चुनाव चिन्ह के रूप में पहचान बन गया था. देशभर में लोग गाय को इंदिरा और बछड़े को संजय गांधी से जोड़कर देख रहे थे. विपक्ष इस चुनाव चिन्ह के जरिए मां-बेटे पर लगातार हमला कर रहा था. जिसके बाद कांग्रेस ने हाथ के पंजे हो अपना चुनाव चिह्न बनाया. वीपी सिंह कांग्रेस से बाहर निकलकर जनमोर्चा नाम से नया दल बनाया और बोफोर्स मुद्दे के सहारे वे भाजपा और वामपंथी दलों की बैसाखी के सहारे प्रधानमंत्री बने. बाद में इसी जनमोर्चा से टूटकर जनता दल, जनता दल (यू), राजद, जद (एस), सपा आदि दल बने.
कांग्रेस से निकली पार्टियां
उत्तर से दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक पार्टी से टूटने वाले नेताओं और उनके द्वारा बनाई गई पार्टियों की फेहरिस्त काफी लंबी है. कुछ पार्टियां काल के गाल में समा गईं, वहीं कुछ का अस्तित्व आज भी बरकरार है. इनमें पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, आंध्रप्रदेश में वायएसआर कांग्रेस, महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार), छत्तीसगढ़ में स्व. अजीत जोगी की जनता कांग्रेस, बीजू जनता दल (बीजू पटनायक पहले कांग्रेस में थे फिर जनता दल में शामिल हुए बाद में ओडिशा में बीजद नाम से दल बना. वर्तमान में बीजू पटनायक के बेटे नवीन पटनायक राज्य के मुख्यमंत्री हैं.), चौधरी चरणसिंह का लोकदल, जो कि राष्ट्रीय लोकदल के नाम से जिंदा है. और भी छोटे-मोटे दल हैं जिनका असर नहीं के बराबर है.
कौन से नेता कांग्रेस से निकले
कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाले नेताओं की सूची भी काफी लंबी है, लेकिन इनमें से कुछ देर-सबेर कांग्रेस में ही लौट आए, कुछ ने अपना अलग वजूद कायम किया.प्रणब मुखर्जी, अर्जुन सिंह, माधव राव सिंधिया, नारायणदत्त तिवारी, पी. चिदंबरम, तारिक अनवर ऐसे कुछ प्रमुख नाम हैं, जो कांग्रेस पार्टी छोड़कर तो गए लेकिन बाहर अपेक्षा के अनुरूप सफल नहीं हो पाए और फिर कांग्रेस में ही लौट आए. इसके उलट ममता बनर्जी, शरद पवार, जगन मोहन रेड्डी, मुफ्ती मोहम्मद सईद ऐसे नेताओं में शुमार हैं, जिन्होंने कांग्रेस से बाहर जाकर अपना अलग वजूद कायम किया. ममता बनर्जी (टीएमसी) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं, जगन मोहन रेड्डी (वायएसआर कांग्रेस) आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, वहीं शरद पवार की पार्टी महाराष्ट्र की शिवसेना नीत सरकार में शामिल है. सईद भी कश्मीर के मुख्यमंत्री बने, बाद में उनकी बेटी महबूबा भी मुख्यमंत्री बनीं. छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री रहे स्व. अजीत जोगी का नाम भी ऐसे ही नेताओं में शुमार है, लेकिन वे कांग्रेस से अलग होकर कुछ खास नहीं कर पाए.
Source : News Nation Bureau